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India army
India army 🪖🇮🇳❣️ -
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कड़ी से कड़ी जोड़ते जाओ तो जंजीर बन जाती है,
मेहनत पे मेहनत करते जाओ तो तकदीर बन जाती है ।कड़ी से कड़ी जोड़ते जाओ तो जंजीर बन जाती है, मेहनत पे मेहनत करते जाओ तो तकदीर बन जाती है ।🖋️🇮🇳🇮🇳 -
हिज्र के इस मौसम में
कशिश उसके प्यार की
कुछ और बढ़ी है....
बहुत शिद्दत से इंतज़ार है
उसे हमसे मुलाकात का...
ऐसा उसने नहीं कहा मगर...
मैंने उसकी कविता पढ़ी है।।
"प्रियंका मोर"हिज्र के इस मौसम में कशिश उसके प्यार की कुछ और बढ़ी है.... बहुत शिद्दत से इंतज़ार है उसे हमसे मुलाकात का... ऐसा उसने नहीं कहा मगर... मैंने उसकी कविता पढ़ी है।। "प्रियंका मोर" -
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मुझे तुमसे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए...
बस इतना ही दे दो...
आधा चाँद और पूरी रात
रिमझिम बारिश की सौगात
अनकही कहानी और
अधूरी बात...
टूटे सपनों की सौगात
तुम्हारी जीत
और मेरी मात....Priyanka Morमुझे तुमसे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए... बस इतना ही दे दो... आधा चाँद और पूरी रात रिमझिम बारिश की सौगात अनकही कहानी और अधूरी बात... टूटे सपनों की सौगात तुम्हारी जीत और मेरी मात....Priyanka Mor -
न जाने कौन सी लिपि में लिखी गई हो तुम...
ए ज़िंदगी !
कभी कोशिश ही नहीं की जानने की मैने
क्योंकि मुझे तुम्हें पढ़ना नहीं
बस प्यार करना है
तुम अजनबी सी रही हमेशा
और मैं अनजान तुम्हारे लिए
अज्ञात के रहस्य को रहस्य ही रहने दो
क्योंकि मुझे तुम्हें समझना नहीं है
और न ही कुछ समझाना है तुम्हें
ए ज़िंदगी !
प्यार में कभी कोई शर्त नहीं होती
इस बात को हमें स्वीकार करना है।
"मोरनी"न जाने कौन सी लिपि में लिखी गई हो तुम... ए ज़िंदगी ! कभी कोशिश ही नहीं की जानने की मैने क्योंकि मुझे तुम्हें पढ़ना नहीं बस प्यार करना है तुम अजनबी सी रही हमेशा और मैं अनजान तुम्हारे लिए अज्ञात के रहस्य को रहस्य ही रहने दो क्योंकि मुझे तुम्हें समझना नहीं है और न ही कुछ समझाना है तुम्हें ए ज़िंदगी ! प्यार में कभी कोई शर्त नहीं होती इस बात को हमें स्वीकार करना है। "मोरनी" -
खुशियों के रंग कच्चे होते
पल दो पल ही रहते हैंं
दर्द मिले तो ले लो हंसकर
लोग सयाने कहते हैं
बरसाती नदियों से सुख होते
दुःख सागर से बहते हैं
लफ़्ज़ों की बेमानी बातें
एहसास तो चुप को सहते हैं
ख़्वाब घरौंदे रेतीली मिट्टी के
हकीकत में बस डहते हैं l
"मोरनी"खुशियों के रंग कच्चे होते पल दो पल ही रहते हैंं दर्द मिले तो ले लो हंसकर लोग सयाने कहते हैं बरसाती नदियों से सुख होते दुःख सागर से बहते हैं लफ़्ज़ों की बेमानी बातें एहसास तो चुप को सहते हैं ख़्वाब घरौंदे रेतीली मिट्टी के हकीकत में बस डहते हैं l "मोरनी"