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खुशियों के रंग कच्चे होते

पल दो पल ही रहते हैंं

दर्द मिले तो ले लो हंसकर

लोग सयाने कहते हैं

बरसाती नदियों से सुख होते

दुःख सागर से बहते हैं

लफ़्ज़ों की बेमानी बातें

एहसास तो चुप को सहते हैं

ख़्वाब घरौंदे रेतीली मिट्टी के

हकीकत में बस डहते हैं l
"मोरनी"
खुशियों के रंग कच्चे होते पल दो पल ही रहते हैंं दर्द मिले तो ले लो हंसकर लोग सयाने कहते हैं बरसाती नदियों से सुख होते दुःख सागर से बहते हैं लफ़्ज़ों की बेमानी बातें एहसास तो चुप को सहते हैं ख़्वाब घरौंदे रेतीली मिट्टी के हकीकत में बस डहते हैं l "मोरनी"
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