Sponsored
Promoted Posts
हर बात जो खुशी दे वो अच्छी हो, ये जरुरी नहीं
हर बात जो खुशी दे वो अच्छी हो, ये जरुरी नहीं माता – पिता कहते हैं कि बच्चे जो करते हैं अगर उसमे उन्हें खुशी मिलती है तो करने दें, सवाल ये उठता है कि क्या इस बात को जानने की कोशिश नहीं करनी चाहिए कि उन्हें कौन सी बात खुश करती है ? माता – पिता यह भी कहते हैं कि हद में किया गया हर काम ठीक है, क्या हद में रहकर की गयी चोरी, धोखेबाजी, झूंठ, नशा भी ठीक है ? जीवन में कुछ बातें किसी हाल में...
Like
Love
Yeh
10
17 Comments 0 Shares 717 Views
Recent Updates
  • Conserve water Conserve energy
    Conserve wildlife and plant a tree
    Recycle reduce reuse
    Resources are few
    Kindly don't misuse
    Say no to plastic
    Use eco-friendly devices
    That makes change fantastic
    Make mother earth to dwell
    Which we have made a hell.
    "Morni"
    Conserve water Conserve energy Conserve wildlife and plant a tree Recycle reduce reuse Resources are few Kindly don't misuse Say no to plastic Use eco-friendly devices That makes change fantastic Make mother earth to dwell Which we have made a hell. "Morni"
    0 Comments 0 Shares 19 Views
  • एहतराम करुंगी मैं हमेशा तुम्हारा..
    चुपचाप यूँ ही बस नज़रें झुकाकर!

    चले आना जब थकने लगे शब्द!
    बैठना, काँधे पर मेरे सिर को टिका कर!

    न शर्तें , न वादे , न किस्से, न कहानी..
    लाना बस खुद को एक विद्यर्थी बनाकर!

    दो पल जो गुजारेंगे हम शामे खामोशी में..
    बारहा गुनगुनाऊँगी उन्हें मैं नज़्में बनाकर!

    तुम्हें जाना तो पड़ेगा हर बार की तरह ..
    थोड़ा सा मगर रख लूँगी दुआओं में छुपाकर!
    "मोरनी"
    एहतराम करुंगी मैं हमेशा तुम्हारा.. चुपचाप यूँ ही बस नज़रें झुकाकर! चले आना जब थकने लगे शब्द! बैठना, काँधे पर मेरे सिर को टिका कर! न शर्तें , न वादे , न किस्से, न कहानी.. लाना बस खुद को एक विद्यर्थी बनाकर! दो पल जो गुजारेंगे हम शामे खामोशी में.. बारहा गुनगुनाऊँगी उन्हें मैं नज़्में बनाकर! तुम्हें जाना तो पड़ेगा हर बार की तरह .. थोड़ा सा मगर रख लूँगी दुआओं में छुपाकर! "मोरनी"
    0 Comments 0 Shares 45 Views
  • Love
    1
    0 Comments 0 Shares 507 Views
  • बाहर की दुनिया बदलती रहेगी
    दिक्कत परेशानी सब चलती रहेगी
    पर तु नदी सा ना उनके संग बह जा
    खुद को स्थिर पहाड बना
    तु खुद में ठहराव ला
    चौदह दिन बढे चांद फिर आगे घटे चांद
    तु उस चांद सा ना हो जा,
    जो अमावस में भी पूरा रहे खुद को ऐसा सूरज बना
    तु खुद में ठहराव ला
    पतझड सावन सब एक से
    तु टहनी पर ना जा
    जो सूखे में भी जिंदा रहे खुद को ऐसा बीज बना
    तु खुद में ठहराव ला
    अमृत के लिए देव लङे विष देख सब भागे
    जो उस विष को भी ग्रहण करे, खुद में ऐसे महादेव जगा
    तु खुद में ठहराव ला, तु खुद में ठहराव ला ।।
    "मोरनी"
    बाहर की दुनिया बदलती रहेगी दिक्कत परेशानी सब चलती रहेगी पर तु नदी सा ना उनके संग बह जा खुद को स्थिर पहाड बना तु खुद में ठहराव ला चौदह दिन बढे चांद फिर आगे घटे चांद तु उस चांद सा ना हो जा, जो अमावस में भी पूरा रहे खुद को ऐसा सूरज बना तु खुद में ठहराव ला पतझड सावन सब एक से तु टहनी पर ना जा जो सूखे में भी जिंदा रहे खुद को ऐसा बीज बना तु खुद में ठहराव ला अमृत के लिए देव लङे विष देख सब भागे जो उस विष को भी ग्रहण करे, खुद में ऐसे महादेव जगा तु खुद में ठहराव ला, तु खुद में ठहराव ला ।। "मोरनी"
    Love
    1
    0 Comments 0 Shares 538 Views
  • रघुकुल नायक राम के साथ, करते हैं हम वीर हनुमान को प्रणाम .....
    रघुकुल नायक राम के साथ, करते हैं हम वीर हनुमान को प्रणाम .....🙏🚩🙇
    0 Comments 0 Shares 608 Views
  • एक दिन मैं समेट कर चल दूँगी
    अपनी रंग बिरंगी साड़ियां
    सब सहेजे गए चुन-चुन कर लिए दुपट्टे
    अच्छे बुरे वक्त की लिखी डायरियाँ
    सोने चाँदी के गहनें
    मन को बहलाने के लिए बनाई पेंटिंग
    लकड़ी के फ्रेम, बीस तरह की ब्रश
    रंग-बिरंगे धागे और घुंघरूं वाली लटकन
    दुनिया भर के नेलपेंट और लिपस्टिक से भरे डिब्बे
    शीशे पर चिपकी हुई बिंदिया।
    समेट कर चल दूंगी रसोई की सारी खुशबू अपनी हथेली में
    उठा कर चल पडूंगी सारी धरती अपने ही सिर
    पीतल की टोकनी के ज्यों
    अब बोलो क्या बचेगा तुम्हारा
    चार जोड़ी कपड़ों के सिवा इस घर में ?
    "मोरनी"
    एक दिन मैं समेट कर चल दूँगी अपनी रंग बिरंगी साड़ियां सब सहेजे गए चुन-चुन कर लिए दुपट्टे अच्छे बुरे वक्त की लिखी डायरियाँ सोने चाँदी के गहनें मन को बहलाने के लिए बनाई पेंटिंग लकड़ी के फ्रेम, बीस तरह की ब्रश रंग-बिरंगे धागे और घुंघरूं वाली लटकन दुनिया भर के नेलपेंट और लिपस्टिक से भरे डिब्बे शीशे पर चिपकी हुई बिंदिया। समेट कर चल दूंगी रसोई की सारी खुशबू अपनी हथेली में उठा कर चल पडूंगी सारी धरती अपने ही सिर पीतल की टोकनी के ज्यों अब बोलो क्या बचेगा तुम्हारा चार जोड़ी कपड़ों के सिवा इस घर में ? "मोरनी"
    0 Comments 0 Shares 639 Views
More Stories