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हिज्र के इस मौसम में
कशिश उसके प्यार की
कुछ और बढ़ी है....
बहुत शिद्दत से इंतज़ार है
उसे हमसे मुलाकात का...
ऐसा उसने नहीं कहा मगर...
मैंने उसकी कविता पढ़ी है।।
"प्रियंका मोर"
हिज्र के इस मौसम में कशिश उसके प्यार की कुछ और बढ़ी है.... बहुत शिद्दत से इंतज़ार है उसे हमसे मुलाकात का... ऐसा उसने नहीं कहा मगर... मैंने उसकी कविता पढ़ी है।। "प्रियंका मोर"
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