• किंग कोहली ने पंजाब किंग्स के खिलाफ 47 गेंद पर 195.74 की स्ट्राइक रेट के साथ 7 चौकों और 6 छक्कों की मदद से 92 जड़ दिए। विराट ने उनकी स्ट्राइक रेट पर सवाल उठाने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया। पंजाब किंग्स ने धर्मशाला में टॉस जीता और पहले गेंदबाजी का निर्णय लिया। अर्शदीप सिंह के दूसरे ओवर की पांचवीं गेंद गुड लेंथ डिलीवरी आउटसाइड ऑफ थी। विराट कोहली आगे आए और टॉप ऑफ द बाउंस पर आते हुए एक्स्ट्रा कवर की दिशा में खूबसूरती के साथ चौका लगा दिया। परफेक्ट टाइमिंग! सैम करन के चौथे ओवर की दूसरी गेंद विराट कोहली के पैड्स पर थी। विराट ने अपना फेवरेट ब्रेड एंड बटर शॉट खेला, मिडविकेट की दिशा में आसानी से चौका लगा दिया। विराट के पैड्स पर गेंद डालकर बचना किसी भी गेंदबाज के बूते का नहीं है।
    विदवथ कवरप्पा के सातवें ओवर की पहली गेंद पर विराट कोहली ने वन हैंडेड सिक्सर जड़ा। मिडिल स्टंप पर डाली गई फुलर लेंथ डिलीवरी पर विराट कोहली ने मिड ऑफ के ऊपर से थ्रू द लाइन छक्का मारा। अर्शदीप सिंह ने नवें ओवर की पहली गेंद राउंड द विकेट आकर विराट कोहली के शरीर पर शॉर्ट बॉल डाली। विराट कोहली ने टॉप ऑफ द बाउंस पर आते से स्क्वायर लेग की दिशा में चौका लगा दिया। सैम करन के दसवें ओवर की पहली गेंद यॉर्कर आउटसाइड ऑफ थी। विराट कोहली ने बल्ले का मुंह खोला, शॉर्ट थर्ड मैन की दिशा में स्लाइस करते हुए चौका लगा दिया। लियाम लिविंगस्टोन के 13वें ओवर की पांचवीं गेंद मिडिल एंड लेग स्टंप पर ओवर पिच डिलीवरी थी। विराट कोहली ने मिडविकेट के गैप में चौक जड़कर अपना अर्धशतक पूरा कर लिया।
    13वें ओवर की अंतिम गेंद पर विराट कोहली ने स्लॉग स्वीप खेलते हुए इनफील्ड क्लियर किया, मिडविकेट की दिशा में एक और चौका लगा दिया। लिविंगस्टोन के 15वें ओवर की पांचवीं गेंद क्विकर एंड फुलर ऑन ऑफ स्टंप थी। विराट कोहली ने मिडविकेट की दिशा में स्लॉग स्वीप खेलते हुए फ्लैट सिक्सर जड़ दिया। सैम करन के 16वें ओवर की दूसरी धीमी फुलर लेंथ गेंद पर विराट कोहली ने अपना घुटना जमीन पर टिकाया, मिड विकेट स्टैंड के सेकंड टीयर में 94 मीटर लंबा छक्का मारा। इस ओवर की अंतिम गेंद 114Kmph की रफ्तार के बाद ऑफ स्टंप के बाहर स्लॉट में फुलर लेंथ डिलीवरी थी। किंग कोहली ने लॉन्गऑन की दिशा में थ्रैशिंग सिक्सर जड़ा। हर्षल पटेल के 17वें ओवर की अंतिम लेंथ डिलीवरी को डीप कवर्स की दिशा में पंच कर सिंगल लेते हुए विराट ने RCB के 200 रन पूरे कर दिए।
    अर्शदीप सिंह के 18वें ओवर की दूसरी गेंद पर विराट कोहली को रूम मिला, विराट ने कवर्स की दिशा में क्लासी ड्राइव के साथ चौका लगा लिया। विराट ने तीसरी गेंद पर बल्ले का फेस खोलते हुए बैकवर्ड पॉइंट के ऊपर से परफेक्ट टाइमिंग के साथ छक्का जड़ दिया। अर्शदीप सिंग ने चौथी गेंद वाइड ऑफ़ द ऑफ स्टंप रखी, जहां गेंद की लेंथ भी ज्यादा फुलर नहीं थी। विराट कोहली के बल्ले का बाहरी किनारा स्वीपर कवर की दिशा में रूसो ने पकड़ लिया। इसी के साथ विराट कोहली की 92 रनों की परी का अंत हो गया। कुछ लोग लगातार T-20 क्रिकेट में विराट कोहली के इंटेंट और स्ट्राइक रेट पर सवाल खड़े कर रहे थे। उनका कहना था कि T-20 वर्ल्ड कप में विराट कोहली तेजी से बल्लेबाजी नहीं कर पाएंगे। ऐसे लोगों को किंग कोहली ने करारा जवाब दिया है। #Lekhanbaji मेंशन कर किंग कोहली की धुआंधार अर्धशतकीय पारी पर अपनी राय रखें।
    किंग कोहली ने पंजाब किंग्स के खिलाफ 47 गेंद पर 195.74 की स्ट्राइक रेट के साथ 7 चौकों और 6 छक्कों की मदद से 92 जड़ दिए। विराट ने उनकी स्ट्राइक रेट पर सवाल उठाने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया। पंजाब किंग्स ने धर्मशाला में टॉस जीता और पहले गेंदबाजी का निर्णय लिया। अर्शदीप सिंह के दूसरे ओवर की पांचवीं गेंद गुड लेंथ डिलीवरी आउटसाइड ऑफ थी। विराट कोहली आगे आए और टॉप ऑफ द बाउंस पर आते हुए एक्स्ट्रा कवर की दिशा में खूबसूरती के साथ चौका लगा दिया। परफेक्ट टाइमिंग! सैम करन के चौथे ओवर की दूसरी गेंद विराट कोहली के पैड्स पर थी। विराट ने अपना फेवरेट ब्रेड एंड बटर शॉट खेला, मिडविकेट की दिशा में आसानी से चौका लगा दिया। विराट के पैड्स पर गेंद डालकर बचना किसी भी गेंदबाज के बूते का नहीं है। विदवथ कवरप्पा के सातवें ओवर की पहली गेंद पर विराट कोहली ने वन हैंडेड सिक्सर जड़ा। मिडिल स्टंप पर डाली गई फुलर लेंथ डिलीवरी पर विराट कोहली ने मिड ऑफ के ऊपर से थ्रू द लाइन छक्का मारा। अर्शदीप सिंह ने नवें ओवर की पहली गेंद राउंड द विकेट आकर विराट कोहली के शरीर पर शॉर्ट बॉल डाली। विराट कोहली ने टॉप ऑफ द बाउंस पर आते से स्क्वायर लेग की दिशा में चौका लगा दिया। सैम करन के दसवें ओवर की पहली गेंद यॉर्कर आउटसाइड ऑफ थी। विराट कोहली ने बल्ले का मुंह खोला, शॉर्ट थर्ड मैन की दिशा में स्लाइस करते हुए चौका लगा दिया। लियाम लिविंगस्टोन के 13वें ओवर की पांचवीं गेंद मिडिल एंड लेग स्टंप पर ओवर पिच डिलीवरी थी। विराट कोहली ने मिडविकेट के गैप में चौक जड़कर अपना अर्धशतक पूरा कर लिया। 13वें ओवर की अंतिम गेंद पर विराट कोहली ने स्लॉग स्वीप खेलते हुए इनफील्ड क्लियर किया, मिडविकेट की दिशा में एक और चौका लगा दिया। लिविंगस्टोन के 15वें ओवर की पांचवीं गेंद क्विकर एंड फुलर ऑन ऑफ स्टंप थी। विराट कोहली ने मिडविकेट की दिशा में स्लॉग स्वीप खेलते हुए फ्लैट सिक्सर जड़ दिया। सैम करन के 16वें ओवर की दूसरी धीमी फुलर लेंथ गेंद पर विराट कोहली ने अपना घुटना जमीन पर टिकाया, मिड विकेट स्टैंड के सेकंड टीयर में 94 मीटर लंबा छक्का मारा। इस ओवर की अंतिम गेंद 114Kmph की रफ्तार के बाद ऑफ स्टंप के बाहर स्लॉट में फुलर लेंथ डिलीवरी थी। किंग कोहली ने लॉन्गऑन की दिशा में थ्रैशिंग सिक्सर जड़ा। हर्षल पटेल के 17वें ओवर की अंतिम लेंथ डिलीवरी को डीप कवर्स की दिशा में पंच कर सिंगल लेते हुए विराट ने RCB के 200 रन पूरे कर दिए। अर्शदीप सिंह के 18वें ओवर की दूसरी गेंद पर विराट कोहली को रूम मिला, विराट ने कवर्स की दिशा में क्लासी ड्राइव के साथ चौका लगा लिया। विराट ने तीसरी गेंद पर बल्ले का फेस खोलते हुए बैकवर्ड पॉइंट के ऊपर से परफेक्ट टाइमिंग के साथ छक्का जड़ दिया। अर्शदीप सिंग ने चौथी गेंद वाइड ऑफ़ द ऑफ स्टंप रखी, जहां गेंद की लेंथ भी ज्यादा फुलर नहीं थी। विराट कोहली के बल्ले का बाहरी किनारा स्वीपर कवर की दिशा में रूसो ने पकड़ लिया। इसी के साथ विराट कोहली की 92 रनों की परी का अंत हो गया। कुछ लोग लगातार T-20 क्रिकेट में विराट कोहली के इंटेंट और स्ट्राइक रेट पर सवाल खड़े कर रहे थे। उनका कहना था कि T-20 वर्ल्ड कप में विराट कोहली तेजी से बल्लेबाजी नहीं कर पाएंगे। ऐसे लोगों को किंग कोहली ने करारा जवाब दिया है। #Lekhanbaji मेंशन कर किंग कोहली की धुआंधार अर्धशतकीय पारी पर अपनी राय रखें।
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  • *स्त्रियां*
    बाथरूम मे जाकर कपड़े भिगोती हैं,बच्चो और पति की शर्ट की कॉलर घिसती है,बाथरूम का फर्श धोती है ताकि चिकना न रहे,फिर बाल्टी और मग भी मांजती है तब जाकर नहाती है
    और तुम कहते हो कि स्त्रियां नहाने में कितनी देर लगातीं है।

    *स्त्रियां*
    किचन में जाकर सब्जियों को साफ करती है,तो कभी मसाले निकलती है।बार बार अपने हाथों को धोती है,आटा मलती है,बर्तनों को कपड़े से पोंछती है।वही दही जमाती घी बनाती है
    और तुम कहते हो खाना में कितनी देर लगेगी ???

    *स्त्रियां*
    बाजार जाती है।एक एक सामान को ठहराती है,अच्छी सब्जियों फलों को छाट ती है,पैसे बचाने के चक्कर में पैदल
    चल देती है,भीड में दुकान को तलाशती है।और तुम कहते हो कि इतनी देर से क्या ले रही थी ???

    *स्त्रियां*
    बच्चो और पति के जाने के बाद चादर की सलवटे सुधारती है,सोफे के कुशन को ठीक करती है,सब्जियां फ्रीज में रखती है,कपड़े घड़ी प्रेस करती है,राशन जमाती है,पौधों में पानी डालती है,कमरे साफ करती है,बर्तन सामान जमाती है,और तुम कहते हो कि दिनभर से क्या कर रही थी ???

    *स्त्रियां*
    कही जाने के लिए तैयार होते समय कपड़ो को उठाकर लाती है,दूध खाना फ्रिज में रखती है बच्चो को हिदायते देती है,नल चेक करती है,दरवाजे लगाती है,फिर खुद को खूबसूरत बनाती है ताकि तुमको अच्छा लगे और तुम कहते हो कितनी देर में तैयार होती हो।

    *स्त्रियां*
    बच्चो की पढ़ाई डिस्कस करती,खाना पूछती,घर का हिसाब बताती,रिश्ते नातों की हालचाल बताती,फीस बिल याद दिलाती और तुम कह देते कि कितना बोलती हो।

    *स्त्रियां*
    दिनभर काम करके थोड़ा दर्द तुमसे बाट देती है,मायके की कभी याद आने पर दुखी होती है,बच्चों के नंबर कम आने पर परेशान होती है,थोड़ा सा आसू अपने आप आ जाते है,मायके में ससुराल की इज़्ज़त,ससुराल में मायके की बात को रखने के लिए कुछ बाते बनाती और तुम कहते हो की स्त्रियां कितनी नाटकबाज होती है।

    सचमुच में स्त्रियां किसी भी घर के लिए कितना कुछ करती हैं एक धर्मपत्नी को यूं ही नहीं अर्धांगिनी माना गया है तथा सनातन धर्म में पूजनीय रखा गया है
    एक विवाहित स्त्री एक समय में दो हाथ होने के बावजूद 9 कार्यों को एक साथ कर सकती है अतः प्रत्येक स्त्री में 9 रूप समाहित होते हैं स्त्रियों का सम्मान सर्वोपरि है क्योंकि वह धरातल पर मानव के अस्तित्व का आधार है
    *स्त्रियां* बाथरूम मे जाकर कपड़े भिगोती हैं,बच्चो और पति की शर्ट की कॉलर घिसती है,बाथरूम का फर्श धोती है ताकि चिकना न रहे,फिर बाल्टी और मग भी मांजती है तब जाकर नहाती है और तुम कहते हो कि स्त्रियां नहाने में कितनी देर लगातीं है। *स्त्रियां* किचन में जाकर सब्जियों को साफ करती है,तो कभी मसाले निकलती है।बार बार अपने हाथों को धोती है,आटा मलती है,बर्तनों को कपड़े से पोंछती है।वही दही जमाती घी बनाती है और तुम कहते हो खाना में कितनी देर लगेगी ??? *स्त्रियां* बाजार जाती है।एक एक सामान को ठहराती है,अच्छी सब्जियों फलों को छाट ती है,पैसे बचाने के चक्कर में पैदल चल देती है,भीड में दुकान को तलाशती है।और तुम कहते हो कि इतनी देर से क्या ले रही थी ??? *स्त्रियां* बच्चो और पति के जाने के बाद चादर की सलवटे सुधारती है,सोफे के कुशन को ठीक करती है,सब्जियां फ्रीज में रखती है,कपड़े घड़ी प्रेस करती है,राशन जमाती है,पौधों में पानी डालती है,कमरे साफ करती है,बर्तन सामान जमाती है,और तुम कहते हो कि दिनभर से क्या कर रही थी ??? *स्त्रियां* कही जाने के लिए तैयार होते समय कपड़ो को उठाकर लाती है,दूध खाना फ्रिज में रखती है बच्चो को हिदायते देती है,नल चेक करती है,दरवाजे लगाती है,फिर खुद को खूबसूरत बनाती है ताकि तुमको अच्छा लगे और तुम कहते हो कितनी देर में तैयार होती हो। *स्त्रियां* बच्चो की पढ़ाई डिस्कस करती,खाना पूछती,घर का हिसाब बताती,रिश्ते नातों की हालचाल बताती,फीस बिल याद दिलाती और तुम कह देते कि कितना बोलती हो। *स्त्रियां* दिनभर काम करके थोड़ा दर्द तुमसे बाट देती है,मायके की कभी याद आने पर दुखी होती है,बच्चों के नंबर कम आने पर परेशान होती है,थोड़ा सा आसू अपने आप आ जाते है,मायके में ससुराल की इज़्ज़त,ससुराल में मायके की बात को रखने के लिए कुछ बाते बनाती और तुम कहते हो की स्त्रियां कितनी नाटकबाज होती है। सचमुच में स्त्रियां किसी भी घर के लिए कितना कुछ करती हैं एक धर्मपत्नी को यूं ही नहीं अर्धांगिनी माना गया है तथा सनातन धर्म में पूजनीय रखा गया है एक विवाहित स्त्री एक समय में दो हाथ होने के बावजूद 9 कार्यों को एक साथ कर सकती है अतः प्रत्येक स्त्री में 9 रूप समाहित होते हैं स्त्रियों का सम्मान सर्वोपरि है क्योंकि वह धरातल पर मानव के अस्तित्व का आधार है
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  • भादरा हल्के के गांव #परलीका में भी युवाओं को #टीम_कप्तान द्वारा खिलाड़ियों को क्रिकेट किट भेंट की गई

    समस्त युवाओं ने टीम #कप्तान का आभार व्यक्त किया
    Capt. Meenu Beniwal
    Jasvinder Beniwal
    भादरा हल्के के गांव #परलीका में भी युवाओं को #टीम_कप्तान द्वारा खिलाड़ियों को क्रिकेट किट भेंट की गई समस्त युवाओं ने टीम #कप्तान का आभार व्यक्त किया 🙏🙏 Capt. Meenu Beniwal Jasvinder Beniwal 💪💪
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  • नाथुसरी कलां
    हंज़ीरा रोड से लेकर नौरंग गोदारा की ढाणी तक पक्का रास्ता 2.5 किलोमीटर मंजूर जल्द काम शुरू
    धन्यवाद कप्तान साहब
    नाथुसरी कलां हंज़ीरा रोड से लेकर नौरंग गोदारा की ढाणी तक पक्का रास्ता 2.5 किलोमीटर मंजूर जल्द काम शुरू धन्यवाद कप्तान साहब
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  • दोस्तों, किसी ने सही कहा है, ‘यह दुनिया एक बाज़ार है, जिसमें सब-कुछ बिकता है।’ जी हाँ साथियों, सही सुना आपने, आज कल तो बाज़ार में ‘सम्मान’ भी धड़ल्ले से बिक रहा है और तो और इसे ख़रीदने वाले बड़े शानदार तरीक़े से इस समाज, इस दुनिया में सम्मानित भी किए जा रहे हैं। अपनी बात को मैं आपको हाल ही में घटी ३ घटनाओं से समझाने का प्रयास करता हूँ।

    पहली घटना - अपने लेख, ब्लॉग, ट्रेनिंग और एशिया बुक रिकॉर्ड होल्डर रेडियो शो की बढ़ती लोकप्रियता के कारण पिछले ६ माह में मेरे पास विभिन्न सम्मानों के लिए चयन होने संबंधी कई मेल और फ़ोन आये। जब मैंने उनसे इस संदर्भ में बात करी तो मुझे पता चला कि इन सभी सम्मान की कुछ ना कुछ क़ीमत है। कोई इसे नॉमिनेशन के नाम पर, तो कोई पी.आर. सर्विस, तो कोई सम्मान समारोह के बाद आयोजित किए जाने वाले बड़े डिनर की क़ीमत बता रहा है।

    दूसरी घटना - अवार्ड की ही तरह पिछले कुछ माह में मेरे पास मानद डॉक्टोरेट के लिए भी कई मेल और फ़ोन आये। अर्थात् अब आप बाज़ार से मानद डॉक्टोरेट की डिग्री भी ख़रीद सकते हैं और उसके बाद अपने नाम के आगे बड़े ‘सम्मान’ के साथ ‘डॉ’ लिख सकते हैं।

    तीसरी घटना - हाल ही में मुझे एक कार्यक्रम में वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में एक ऐसे सज्जन उपस्थित थे जिन्हें मैं उनके खट कर्मों की वजह से पिछले कई सालों से जानता था। उनके रूप या यूँ कहूँ जीवन में आये इस सकारात्मक बदलाव को देख मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। लेकिन मेरी यह ख़ुशी उस वक़्त काफिर हो गई जब मेरे वक्तव्य के पूर्व उन्होंने बड़े धीमे स्वर में मुझसे कहा, ‘निर्मल, तुम अगर यहाँ मुझे मेरे नाम के स्थान पर भाई जी या भाई साहब कहकर संबोधित करोगे तो मुझे अच्छा लगेगा। कई सालों की मेहनत से यह इज्जत कमाई है।’ उस वक़्त तो मैंने मुस्कुराहट के साथ उन्हें रिलैक्स कर दिया, लेकिन कार्यक्रम के बाद मुझे पता चला कि आजकल वे प्रॉपर्टी बाज़ार से कमाये गये पैसों से बाज़ार में इस तरह का सम्मान ख़रीदते हैं।

    आगे बढ़ने से पहले साथियों मैं आपको बता दूँ कि सम्मान की भूख होना सामान्य मानवीय स्वभाव या आवश्यकताओं का हिस्सा है। अगर आप इसे अमेरिकी मनोवैज्ञानिक अब्राहम मास्लो की वर्ष १९४३ में साइकोलॉजिकल रिव्यू पत्रिका में प्रकाशित हुए पेपर ‘ए थ्योरी ऑफ ह्यूमन मोटिवेशन’ के एक हिस्से जिसे हम ‘थ्योरी ऑफ़ हेरारकी ऑफ़ नीड्स’ याने ‘मास्लो का आवश्यकताओं के पदानुक्रम का सिद्धांत’ भी कहते हैं, के आधार पर देखेंगे तो पायेंगे कि सामान्य इंसान की जरूरतें और प्रेरणा आवश्यकताओं की पांच बुनियादी श्रेणियों से प्रेरित होते हैं; १) शारीरिक २) सुरक्षा ३) प्रेम ४) सम्मान और ५) आत्म-बोध। इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक मनुष्य उपरोक्त क्रम में संतुष्टि प्राप्त करते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ता है। अर्थात् उपरोक्त पदानुक्रम से हम यह समझ सकते हैं कि मानव व्यवहार के संदर्भ में प्रयास और प्रेरणा कैसे कार्य करते हैं।

    इस आधार पर देखा जाये तो सम्मान की चाह स्वाभाविक है, लेकिन सम्मान को कभी छीन या ख़रीदकर नहीं पाया जा सकता है, उसे तो आपको कमाना ही पड़ता है। अर्थात् सम्मान तो आप अपने अच्छे स्वभाव, अच्छे व्यवहार और अच्छे कर्मों द्वारा ही कमा सकते हैं। अगर मेरी बात से सहमत ना हों तो किसी भी श्रेष्ठ और सम्मानित व्यक्ति को याद कर देख लीजिए। इस आधार पर कहा जाये तो ख़रीद कर सम्मानित होना और सही मायने में सम्मान अर्जित करने में बहुत अंतर है। अर्थात् आप सम्मान पाने योग्य कार्य करके ही इसके वास्तविक अधिकारी बन सकते हैं। इसलिए दोस्तों, जीवन में सदैव श्रेष्ठ पथ पर गतिमान रहें, स्वभाव में सौम्यता लायें और लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करें। फिर देखियेगा आपको कभी सम्मान ना तो माँगना पड़ेगा और ना ही ख़रीदना पड़ेगा, वह तो आपको अपने आप ही मिलने लगेगा।
    दोस्तों, किसी ने सही कहा है, ‘यह दुनिया एक बाज़ार है, जिसमें सब-कुछ बिकता है।’ जी हाँ साथियों, सही सुना आपने, आज कल तो बाज़ार में ‘सम्मान’ भी धड़ल्ले से बिक रहा है और तो और इसे ख़रीदने वाले बड़े शानदार तरीक़े से इस समाज, इस दुनिया में सम्मानित भी किए जा रहे हैं। अपनी बात को मैं आपको हाल ही में घटी ३ घटनाओं से समझाने का प्रयास करता हूँ। पहली घटना - अपने लेख, ब्लॉग, ट्रेनिंग और एशिया बुक रिकॉर्ड होल्डर रेडियो शो की बढ़ती लोकप्रियता के कारण पिछले ६ माह में मेरे पास विभिन्न सम्मानों के लिए चयन होने संबंधी कई मेल और फ़ोन आये। जब मैंने उनसे इस संदर्भ में बात करी तो मुझे पता चला कि इन सभी सम्मान की कुछ ना कुछ क़ीमत है। कोई इसे नॉमिनेशन के नाम पर, तो कोई पी.आर. सर्विस, तो कोई सम्मान समारोह के बाद आयोजित किए जाने वाले बड़े डिनर की क़ीमत बता रहा है। दूसरी घटना - अवार्ड की ही तरह पिछले कुछ माह में मेरे पास मानद डॉक्टोरेट के लिए भी कई मेल और फ़ोन आये। अर्थात् अब आप बाज़ार से मानद डॉक्टोरेट की डिग्री भी ख़रीद सकते हैं और उसके बाद अपने नाम के आगे बड़े ‘सम्मान’ के साथ ‘डॉ’ लिख सकते हैं। तीसरी घटना - हाल ही में मुझे एक कार्यक्रम में वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में एक ऐसे सज्जन उपस्थित थे जिन्हें मैं उनके खट कर्मों की वजह से पिछले कई सालों से जानता था। उनके रूप या यूँ कहूँ जीवन में आये इस सकारात्मक बदलाव को देख मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। लेकिन मेरी यह ख़ुशी उस वक़्त काफिर हो गई जब मेरे वक्तव्य के पूर्व उन्होंने बड़े धीमे स्वर में मुझसे कहा, ‘निर्मल, तुम अगर यहाँ मुझे मेरे नाम के स्थान पर भाई जी या भाई साहब कहकर संबोधित करोगे तो मुझे अच्छा लगेगा। कई सालों की मेहनत से यह इज्जत कमाई है।’ उस वक़्त तो मैंने मुस्कुराहट के साथ उन्हें रिलैक्स कर दिया, लेकिन कार्यक्रम के बाद मुझे पता चला कि आजकल वे प्रॉपर्टी बाज़ार से कमाये गये पैसों से बाज़ार में इस तरह का सम्मान ख़रीदते हैं। आगे बढ़ने से पहले साथियों मैं आपको बता दूँ कि सम्मान की भूख होना सामान्य मानवीय स्वभाव या आवश्यकताओं का हिस्सा है। अगर आप इसे अमेरिकी मनोवैज्ञानिक अब्राहम मास्लो की वर्ष १९४३ में साइकोलॉजिकल रिव्यू पत्रिका में प्रकाशित हुए पेपर ‘ए थ्योरी ऑफ ह्यूमन मोटिवेशन’ के एक हिस्से जिसे हम ‘थ्योरी ऑफ़ हेरारकी ऑफ़ नीड्स’ याने ‘मास्लो का आवश्यकताओं के पदानुक्रम का सिद्धांत’ भी कहते हैं, के आधार पर देखेंगे तो पायेंगे कि सामान्य इंसान की जरूरतें और प्रेरणा आवश्यकताओं की पांच बुनियादी श्रेणियों से प्रेरित होते हैं; १) शारीरिक २) सुरक्षा ३) प्रेम ४) सम्मान और ५) आत्म-बोध। इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक मनुष्य उपरोक्त क्रम में संतुष्टि प्राप्त करते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ता है। अर्थात् उपरोक्त पदानुक्रम से हम यह समझ सकते हैं कि मानव व्यवहार के संदर्भ में प्रयास और प्रेरणा कैसे कार्य करते हैं। इस आधार पर देखा जाये तो सम्मान की चाह स्वाभाविक है, लेकिन सम्मान को कभी छीन या ख़रीदकर नहीं पाया जा सकता है, उसे तो आपको कमाना ही पड़ता है। अर्थात् सम्मान तो आप अपने अच्छे स्वभाव, अच्छे व्यवहार और अच्छे कर्मों द्वारा ही कमा सकते हैं। अगर मेरी बात से सहमत ना हों तो किसी भी श्रेष्ठ और सम्मानित व्यक्ति को याद कर देख लीजिए। इस आधार पर कहा जाये तो ख़रीद कर सम्मानित होना और सही मायने में सम्मान अर्जित करने में बहुत अंतर है। अर्थात् आप सम्मान पाने योग्य कार्य करके ही इसके वास्तविक अधिकारी बन सकते हैं। इसलिए दोस्तों, जीवन में सदैव श्रेष्ठ पथ पर गतिमान रहें, स्वभाव में सौम्यता लायें और लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करें। फिर देखियेगा आपको कभी सम्मान ना तो माँगना पड़ेगा और ना ही ख़रीदना पड़ेगा, वह तो आपको अपने आप ही मिलने लगेगा।
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  • ना डरे थे, ना डरेंगे, तब भी खड़े थे, आज भी खड़े है!
    कप्तान के रहे है, कप्तान के रहेंगे!
    कप्तान कप्तान कप्तान करेंगे! बोल रहा है आज ऐलनाबाद
    ना डरे थे, ना डरेंगे, तब भी खड़े थे, आज भी खड़े है! कप्तान के रहे है, कप्तान के रहेंगे! कप्तान कप्तान कप्तान करेंगे! बोल रहा है आज ऐलनाबाद 🗣️🎙️
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