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  • आँसू की बिसात ही क्या
    जब जी चाहा निकल गया
    इसने तब तब छोड़ा साथ
    जब हृदय दर्द विकल रहा
    आँखों से संबध भी इसका
    देखो कितना विफल रहा
    यह कायर क्या जीना जाने
    खुदकुशी में ही सफल रहा
    इसका करे क्या भरोसा कोई
    यह खुशियों में भी छलक गया
    फ़रेबी आँसू यह बंजारा सा
    हर ढाढस पा कर बहक गया
    आँसू खारा पानी या मोती
    सोचो इसका मोल है क्या
    कीमत इसकी आंक सके
    दुनिया की औकात है क्या
    भीतर गिरता जलाता हिय को
    यह भी भला कोई बात है क्या...
    "मोरनी"
    आँसू की बिसात ही क्या जब जी चाहा निकल गया इसने तब तब छोड़ा साथ जब हृदय दर्द विकल रहा आँखों से संबध भी इसका देखो कितना विफल रहा यह कायर क्या जीना जाने खुदकुशी में ही सफल रहा इसका करे क्या भरोसा कोई यह खुशियों में भी छलक गया फ़रेबी आँसू यह बंजारा सा हर ढाढस पा कर बहक गया आँसू खारा पानी या मोती सोचो इसका मोल है क्या कीमत इसकी आंक सके दुनिया की औकात है क्या भीतर गिरता जलाता हिय को यह भी भला कोई बात है क्या... "मोरनी"
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  • छोड़ जाना भी छोड़ कर जाना नहीं होता है
    चले जाने के बाद भी चले जाना रह जाता है

    शेष बहुत कुछ छूट जाता है वहीं उसी मोड़ पर
    चले जाता है जब कोई यूं अधूरा कुछ छोड़ कर

    तुम्हारा वह सबकुछ जो मेरा था रहेगा मेरे पास
    तुम्हारे चले जाने के बाद भी तुम्हारा वोअहसास

    कैसे झुठला सकोगे कि मैं अब तुम्हारे साथ नहीं
    दूर होने के बाद पहले से भी ज्यादा अब पास नहीं

    तुम मेरी दुआओं में महफूज़ हो हमेशा के लिए
    शुक्रगुजार हूं उन पलों का जो हमने साथ जिये

    कुछ कभी याद आए तो आंखें अपनी नम न करना
    जाना तो पड़ता ही है इस बात का तुम गम न करना
    "मोरनी"
    छोड़ जाना भी छोड़ कर जाना नहीं होता है चले जाने के बाद भी चले जाना रह जाता है शेष बहुत कुछ छूट जाता है वहीं उसी मोड़ पर चले जाता है जब कोई यूं अधूरा कुछ छोड़ कर तुम्हारा वह सबकुछ जो मेरा था रहेगा मेरे पास तुम्हारे चले जाने के बाद भी तुम्हारा वोअहसास कैसे झुठला सकोगे कि मैं अब तुम्हारे साथ नहीं दूर होने के बाद पहले से भी ज्यादा अब पास नहीं तुम मेरी दुआओं में महफूज़ हो हमेशा के लिए शुक्रगुजार हूं उन पलों का जो हमने साथ जिये कुछ कभी याद आए तो आंखें अपनी नम न करना जाना तो पड़ता ही है इस बात का तुम गम न करना "मोरनी"
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  • बेटी की पिता से अर्ज...
    और कुछ तुझसे नही मांगती
    एक बात मान ले तू मेरी बाबुल
    उस घर भेजना तू बाबुल
    जिस घर मे हो लायब्रेरी ...
    जहाँ अक्षरों और शब्दों के रंग हों
    उस घर मे होती हैं नज़ाकतें..
    मुझे ऐसा जाट नही चाहिए
    जो कंधे पर बंदूक रखता हो
    जो जीप पर गेड़ियाँ लगाता हो
    जो कबूतर और कुत्ते पालता हो..
    जो किताबों को उदास होकर पढ़ता हो
    मुझे तो ऐसा मिले जो पोथी को जानता हो
    इतनी खुशी ही मेरे लिए बहुत है।
    "मोरनी"
    बेटी की पिता से अर्ज... और कुछ तुझसे नही मांगती एक बात मान ले तू मेरी बाबुल उस घर भेजना तू बाबुल जिस घर मे हो लायब्रेरी ... जहाँ अक्षरों और शब्दों के रंग हों उस घर मे होती हैं नज़ाकतें.. मुझे ऐसा जाट नही चाहिए जो कंधे पर बंदूक रखता हो जो जीप पर गेड़ियाँ लगाता हो जो कबूतर और कुत्ते पालता हो.. जो किताबों को उदास होकर पढ़ता हो मुझे तो ऐसा मिले जो पोथी को जानता हो इतनी खुशी ही मेरे लिए बहुत है। "मोरनी"
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  • सारी हाणा देख मखां,
    ना इतणी बात घुमाया कर।
    मैं किम्मे कह देऊं बस मेरी,
    तूं हाँ म्हं हां मिलाया कर।
    मैं फोन करूं कितणे ,
    तेरा फोन रहवै बिजी
    घणा टेड्ढा सै,
    न्यूए दिक्खे जा ईजी
    मनै राख होल्ड पै, औरां तै इतणा ना बतळाया कर
    मैं किम्मे कह देऊं बस मेरी तूं हाँ म्हं हां मिलाया कर।
    तड़का होवै सांझ डिगरज्या
    होवै वार फेर बात बिगड़ज्या
    मैं देक्खे जाऊं बाट छैल तेरी,
    ना इतणी बाट दिखाया कर
    मैं किम्मे कह देऊं बस मेरी, तूं हाँ म्हं हाँ मिलाया कर। "मोरनी"
    सारी हाणा देख मखां, ना इतणी बात घुमाया कर। मैं किम्मे कह देऊं बस मेरी, तूं हाँ म्हं हां मिलाया कर। मैं फोन करूं कितणे , तेरा फोन रहवै बिजी घणा टेड्ढा सै, न्यूए दिक्खे जा ईजी मनै राख होल्ड पै, औरां तै इतणा ना बतळाया कर मैं किम्मे कह देऊं बस मेरी तूं हाँ म्हं हां मिलाया कर। तड़का होवै सांझ डिगरज्या होवै वार फेर बात बिगड़ज्या मैं देक्खे जाऊं बाट छैल तेरी, ना इतणी बाट दिखाया कर मैं किम्मे कह देऊं बस मेरी, तूं हाँ म्हं हाँ मिलाया कर। "मोरनी"
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  • स्त्रियाँ जब भी मिलती हैं
    बेहद बात करती हैं
    खोलती हैं मन की गांठे
    जैसे पुरानी संदूक से निकली गठरी खुली हो।
    हँसती हैं, खूब हँसती हैं
    रोती हैं तो जरा सी आँख भर बस
    दुनिया भर की बातें हैं इनके पास
    दुनिया भर के उल्हाने
    दुनिया भर के दुःख
    दुनिया भर की खुशियाँ ll "मोरनी"
    स्त्रियाँ जब भी मिलती हैं बेहद बात करती हैं खोलती हैं मन की गांठे जैसे पुरानी संदूक से निकली गठरी खुली हो। हँसती हैं, खूब हँसती हैं रोती हैं तो जरा सी आँख भर बस दुनिया भर की बातें हैं इनके पास दुनिया भर के उल्हाने दुनिया भर के दुःख दुनिया भर की खुशियाँ ll "मोरनी"
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  • चुप सी लगा ली है मैने
    खामोशी चुरा ली है मैने
    तुम भी बस खामोश रहो
    न मेरी सुनो न अपनी कहो
    मुस्कान छुपा ली है मैने
    बातों से विदा ली है मैने
    अब तो साया भी साथ नहीं
    हर शमां बुझा दी है मैंने
    तुम सुबहों को सहेजे रखो
    रात बिछा ली है मैने...."मोरनी"
    चुप सी लगा ली है मैने खामोशी चुरा ली है मैने तुम भी बस खामोश रहो न मेरी सुनो न अपनी कहो मुस्कान छुपा ली है मैने बातों से विदा ली है मैने अब तो साया भी साथ नहीं हर शमां बुझा दी है मैंने तुम सुबहों को सहेजे रखो रात बिछा ली है मैने...."मोरनी"
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