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  • बेटी की पिता से अर्ज...
    और कुछ तुझसे नही मांगती
    एक बात मान ले तू मेरी बाबुल
    उस घर भेजना तू बाबुल
    जिस घर मे हो लायब्रेरी ...
    जहाँ अक्षरों और शब्दों के रंग हों
    उस घर मे होती हैं नज़ाकतें..
    मुझे ऐसा जाट नही चाहिए
    जो कंधे पर बंदूक रखता हो
    जो जीप पर गेड़ियाँ लगाता हो
    जो कबूतर और कुत्ते पालता हो..
    जो किताबों को उदास होकर पढ़ता हो
    मुझे तो ऐसा मिले जो पोथी को जानता हो
    इतनी खुशी ही मेरे लिए बहुत है।
    "मोरनी"
    बेटी की पिता से अर्ज... और कुछ तुझसे नही मांगती एक बात मान ले तू मेरी बाबुल उस घर भेजना तू बाबुल जिस घर मे हो लायब्रेरी ... जहाँ अक्षरों और शब्दों के रंग हों उस घर मे होती हैं नज़ाकतें.. मुझे ऐसा जाट नही चाहिए जो कंधे पर बंदूक रखता हो जो जीप पर गेड़ियाँ लगाता हो जो कबूतर और कुत्ते पालता हो.. जो किताबों को उदास होकर पढ़ता हो मुझे तो ऐसा मिले जो पोथी को जानता हो इतनी खुशी ही मेरे लिए बहुत है। "मोरनी"
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  • सारी हाणा देख मखां,
    ना इतणी बात घुमाया कर।
    मैं किम्मे कह देऊं बस मेरी,
    तूं हाँ म्हं हां मिलाया कर।
    मैं फोन करूं कितणे ,
    तेरा फोन रहवै बिजी
    घणा टेड्ढा सै,
    न्यूए दिक्खे जा ईजी
    मनै राख होल्ड पै, औरां तै इतणा ना बतळाया कर
    मैं किम्मे कह देऊं बस मेरी तूं हाँ म्हं हां मिलाया कर।
    तड़का होवै सांझ डिगरज्या
    होवै वार फेर बात बिगड़ज्या
    मैं देक्खे जाऊं बाट छैल तेरी,
    ना इतणी बाट दिखाया कर
    मैं किम्मे कह देऊं बस मेरी, तूं हाँ म्हं हाँ मिलाया कर। "मोरनी"
    सारी हाणा देख मखां, ना इतणी बात घुमाया कर। मैं किम्मे कह देऊं बस मेरी, तूं हाँ म्हं हां मिलाया कर। मैं फोन करूं कितणे , तेरा फोन रहवै बिजी घणा टेड्ढा सै, न्यूए दिक्खे जा ईजी मनै राख होल्ड पै, औरां तै इतणा ना बतळाया कर मैं किम्मे कह देऊं बस मेरी तूं हाँ म्हं हां मिलाया कर। तड़का होवै सांझ डिगरज्या होवै वार फेर बात बिगड़ज्या मैं देक्खे जाऊं बाट छैल तेरी, ना इतणी बाट दिखाया कर मैं किम्मे कह देऊं बस मेरी, तूं हाँ म्हं हाँ मिलाया कर। "मोरनी"
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  • स्त्रियाँ जब भी मिलती हैं
    बेहद बात करती हैं
    खोलती हैं मन की गांठे
    जैसे पुरानी संदूक से निकली गठरी खुली हो।
    हँसती हैं, खूब हँसती हैं
    रोती हैं तो जरा सी आँख भर बस
    दुनिया भर की बातें हैं इनके पास
    दुनिया भर के उल्हाने
    दुनिया भर के दुःख
    दुनिया भर की खुशियाँ ll "मोरनी"
    स्त्रियाँ जब भी मिलती हैं बेहद बात करती हैं खोलती हैं मन की गांठे जैसे पुरानी संदूक से निकली गठरी खुली हो। हँसती हैं, खूब हँसती हैं रोती हैं तो जरा सी आँख भर बस दुनिया भर की बातें हैं इनके पास दुनिया भर के उल्हाने दुनिया भर के दुःख दुनिया भर की खुशियाँ ll "मोरनी"
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  • चुप सी लगा ली है मैने
    खामोशी चुरा ली है मैने
    तुम भी बस खामोश रहो
    न मेरी सुनो न अपनी कहो
    मुस्कान छुपा ली है मैने
    बातों से विदा ली है मैने
    अब तो साया भी साथ नहीं
    हर शमां बुझा दी है मैंने
    तुम सुबहों को सहेजे रखो
    रात बिछा ली है मैने...."मोरनी"
    चुप सी लगा ली है मैने खामोशी चुरा ली है मैने तुम भी बस खामोश रहो न मेरी सुनो न अपनी कहो मुस्कान छुपा ली है मैने बातों से विदा ली है मैने अब तो साया भी साथ नहीं हर शमां बुझा दी है मैंने तुम सुबहों को सहेजे रखो रात बिछा ली है मैने...."मोरनी"
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  • खुशियों के रंग कच्चे होते

    पल दो पल ही रहते हैंं

    दर्द मिले तो ले लो हंसकर

    लोग सयाने कहते हैं

    बरसाती नदियों से सुख होते

    दुःख सागर से बहते हैं

    लफ़्ज़ों की बेमानी बातें

    एहसास तो चुप को सहते हैं

    ख़्वाब घरौंदे रेतीली मिट्टी के

    हकीकत में बस डहते हैं l
    "मोरनी"
    खुशियों के रंग कच्चे होते पल दो पल ही रहते हैंं दर्द मिले तो ले लो हंसकर लोग सयाने कहते हैं बरसाती नदियों से सुख होते दुःख सागर से बहते हैं लफ़्ज़ों की बेमानी बातें एहसास तो चुप को सहते हैं ख़्वाब घरौंदे रेतीली मिट्टी के हकीकत में बस डहते हैं l "मोरनी"
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  • न जाने कौन सी लिपि में लिखी गई हो तुम...

    ए ज़िंदगी !

    कभी कोशिश ही नहीं की जानने की मैने

    क्योंकि मुझे तुम्हें पढ़ना नहीं

    बस प्यार करना है

    तुम अजनबी सी रही हमेशा

    और मैं अनजान तुम्हारे लिए

    अज्ञात के रहस्य को रहस्य ही रहने दो

    क्योंकि मुझे तुम्हें समझना नहीं है

    और न ही कुछ समझाना है तुम्हें

    ए ज़िंदगी !

    प्यार में कभी कोई शर्त नहीं होती

    इस बात को हमें स्वीकार करना है।
    "मोरनी"
    न जाने कौन सी लिपि में लिखी गई हो तुम... ए ज़िंदगी ! कभी कोशिश ही नहीं की जानने की मैने क्योंकि मुझे तुम्हें पढ़ना नहीं बस प्यार करना है तुम अजनबी सी रही हमेशा और मैं अनजान तुम्हारे लिए अज्ञात के रहस्य को रहस्य ही रहने दो क्योंकि मुझे तुम्हें समझना नहीं है और न ही कुछ समझाना है तुम्हें ए ज़िंदगी ! प्यार में कभी कोई शर्त नहीं होती इस बात को हमें स्वीकार करना है। "मोरनी"
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