• चुप सी लगा ली है मैने
    खामोशी चुरा ली है मैने
    तुम भी बस खामोश रहो
    न मेरी सुनो न अपनी कहो
    मुस्कान छुपा ली है मैने
    बातों से विदा ली है मैने
    अब तो साया भी साथ नहीं
    हर शमां बुझा दी है मैंने
    तुम सुबहों को सहेजे रखो
    रात बिछा ली है मैने...."मोरनी"
    चुप सी लगा ली है मैने खामोशी चुरा ली है मैने तुम भी बस खामोश रहो न मेरी सुनो न अपनी कहो मुस्कान छुपा ली है मैने बातों से विदा ली है मैने अब तो साया भी साथ नहीं हर शमां बुझा दी है मैंने तुम सुबहों को सहेजे रखो रात बिछा ली है मैने...."मोरनी"
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  • खुशियों के रंग कच्चे होते

    पल दो पल ही रहते हैंं

    दर्द मिले तो ले लो हंसकर

    लोग सयाने कहते हैं

    बरसाती नदियों से सुख होते

    दुःख सागर से बहते हैं

    लफ़्ज़ों की बेमानी बातें

    एहसास तो चुप को सहते हैं

    ख़्वाब घरौंदे रेतीली मिट्टी के

    हकीकत में बस डहते हैं l
    "मोरनी"
    खुशियों के रंग कच्चे होते पल दो पल ही रहते हैंं दर्द मिले तो ले लो हंसकर लोग सयाने कहते हैं बरसाती नदियों से सुख होते दुःख सागर से बहते हैं लफ़्ज़ों की बेमानी बातें एहसास तो चुप को सहते हैं ख़्वाब घरौंदे रेतीली मिट्टी के हकीकत में बस डहते हैं l "मोरनी"
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  • न जाने कौन सी लिपि में लिखी गई हो तुम...

    ए ज़िंदगी !

    कभी कोशिश ही नहीं की जानने की मैने

    क्योंकि मुझे तुम्हें पढ़ना नहीं

    बस प्यार करना है

    तुम अजनबी सी रही हमेशा

    और मैं अनजान तुम्हारे लिए

    अज्ञात के रहस्य को रहस्य ही रहने दो

    क्योंकि मुझे तुम्हें समझना नहीं है

    और न ही कुछ समझाना है तुम्हें

    ए ज़िंदगी !

    प्यार में कभी कोई शर्त नहीं होती

    इस बात को हमें स्वीकार करना है।
    "मोरनी"
    न जाने कौन सी लिपि में लिखी गई हो तुम... ए ज़िंदगी ! कभी कोशिश ही नहीं की जानने की मैने क्योंकि मुझे तुम्हें पढ़ना नहीं बस प्यार करना है तुम अजनबी सी रही हमेशा और मैं अनजान तुम्हारे लिए अज्ञात के रहस्य को रहस्य ही रहने दो क्योंकि मुझे तुम्हें समझना नहीं है और न ही कुछ समझाना है तुम्हें ए ज़िंदगी ! प्यार में कभी कोई शर्त नहीं होती इस बात को हमें स्वीकार करना है। "मोरनी"
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  • मुझे तुमसे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए...

    बस इतना ही दे दो...

    आधा चाँद और पूरी रात

    रिमझिम बारिश की सौगात

    अनकही कहानी और

    अधूरी बात...

    टूटे सपनों की सौगात

    तुम्हारी जीत

    और मेरी मात....Priyanka Mor
    मुझे तुमसे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए... बस इतना ही दे दो... आधा चाँद और पूरी रात रिमझिम बारिश की सौगात अनकही कहानी और अधूरी बात... टूटे सपनों की सौगात तुम्हारी जीत और मेरी मात....Priyanka Mor
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  • आजकल के अधिकांश लड़के नौकरी लगने के तुरंत बाद शादी करके दुलहन को सीधे नौकरी पर ले जाते हैं तथा सारा पढ़ाई का कर्ज , खेती का काम सब झंझट उन माता पिता के पास छोड़ जाते हैं जो अपनी मजदूरी का पैसा इन बच्चों पर बिना किसी प्रतिफल की उम्मीद में अपनी सामाजिक जिम्मेदारी,भावनात्मक एवं बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए लगाया होता है कई बार तो उच्च शिक्षा के लिए माता-पिता ने कर्ज़ भी लिया होता है। अब कमाई करने वाले ए अधिकांश बच्चे सबसे पहले शहर में प्लाट लेने की सोचते हैं तथा माता पिता की ओर कम ध्यान देते हैं जो बहुत दुखदाई है ।
    फेसबुक पर माता पिता को भगवान ज्यादा वो ही लोग लिखते हैं जिनके माता-पिता दयनीय स्थिति मे होने के बाद भी उनसे आशा नही करते ।कभी वो लोग गाँव आते हैं तो अपनी जेब पैसा नही देने हेतु माता पिता से खेती , भैंस आदि की कमाई का हिसाब अपनी पत्नी के सामने लेते हैं तथा उन्हें बहुत सुनाते हैं । पत्नी भी उनमें कमी निकालकर अपना धर्म पूरा करती है और उन पर नगदी फसल उगाने और उससे पैसा कमाने का सलाह थोपती है।
    यह माजरा करीब 90% लोगों का है जो शहर मे लोगों को जन्मदिन की पार्टी देकर अपनी झूठी शान का बखान करते हैं । वो अपने पत्नी बच्चों के अलावा किसी पर एक पैसा खर्च नही करते ।
    क्या इस हालत मे समाज सुधार की ओर अग्रसर माना जा सकता है।गाँव के अधिकांश लोग इसी तरह दुःखी हैं क्योंकि उनको बच्चे की नौकरी के कारण वृद्धा पेंशन भी नही मिलती।
    मां-बाप कितने सपने सजोकर उन्हें पेट काटकर पढ़ाते हैं फिर नौकरी या तो लगती नही या लगने के बाद बेगाने होना दुःखद है।आजकल लड़को की नौकरी लगे या ना लगे घर का काम तो मरते दम बुढों को ही करना पडता है।बच्चों को पढ़ाने का मां -बाप को यही पुरस्कार है ।
    जो लोग शोसल मीडिया पर बड़ी बडी बातें करते हैं तथा लोगों का आदर्श बने हुए हैं तथा बड़े पदों पर आशीन हैं उनमें से अनेक भी अपने रिशतेदारों , माता पिता के प्रति निष्ठुर भाव रखते हैं ।
    आजकल के अधिकांश लड़के नौकरी लगने के तुरंत बाद शादी करके दुलहन को सीधे नौकरी पर ले जाते हैं तथा सारा पढ़ाई का कर्ज , खेती का काम सब झंझट उन माता पिता के पास छोड़ जाते हैं जो अपनी मजदूरी का पैसा इन बच्चों पर बिना किसी प्रतिफल की उम्मीद में अपनी सामाजिक जिम्मेदारी,भावनात्मक एवं बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए लगाया होता है कई बार तो उच्च शिक्षा के लिए माता-पिता ने कर्ज़ भी लिया होता है। अब कमाई करने वाले ए अधिकांश बच्चे सबसे पहले शहर में प्लाट लेने की सोचते हैं तथा माता पिता की ओर कम ध्यान देते हैं जो बहुत दुखदाई है । फेसबुक पर माता पिता को भगवान ज्यादा वो ही लोग लिखते हैं जिनके माता-पिता दयनीय स्थिति मे होने के बाद भी उनसे आशा नही करते ।कभी वो लोग गाँव आते हैं तो अपनी जेब पैसा नही देने हेतु माता पिता से खेती , भैंस आदि की कमाई का हिसाब अपनी पत्नी के सामने लेते हैं तथा उन्हें बहुत सुनाते हैं । पत्नी भी उनमें कमी निकालकर अपना धर्म पूरा करती है और उन पर नगदी फसल उगाने और उससे पैसा कमाने का सलाह थोपती है। यह माजरा करीब 90% लोगों का है जो शहर मे लोगों को जन्मदिन की पार्टी देकर अपनी झूठी शान का बखान करते हैं । वो अपने पत्नी बच्चों के अलावा किसी पर एक पैसा खर्च नही करते । क्या इस हालत मे समाज सुधार की ओर अग्रसर माना जा सकता है।गाँव के अधिकांश लोग इसी तरह दुःखी हैं क्योंकि उनको बच्चे की नौकरी के कारण वृद्धा पेंशन भी नही मिलती। मां-बाप कितने सपने सजोकर उन्हें पेट काटकर पढ़ाते हैं फिर नौकरी या तो लगती नही या लगने के बाद बेगाने होना दुःखद है।आजकल लड़को की नौकरी लगे या ना लगे घर का काम तो मरते दम बुढों को ही करना पडता है।बच्चों को पढ़ाने का मां -बाप को यही पुरस्कार है । जो लोग शोसल मीडिया पर बड़ी बडी बातें करते हैं तथा लोगों का आदर्श बने हुए हैं तथा बड़े पदों पर आशीन हैं उनमें से अनेक भी अपने रिशतेदारों , माता पिता के प्रति निष्ठुर भाव रखते हैं ।
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  • *स्त्रियां*
    बाथरूम मे जाकर कपड़े भिगोती हैं,बच्चो और पति की शर्ट की कॉलर घिसती है,बाथरूम का फर्श धोती है ताकि चिकना न रहे,फिर बाल्टी और मग भी मांजती है तब जाकर नहाती है
    और तुम कहते हो कि स्त्रियां नहाने में कितनी देर लगातीं है।

    *स्त्रियां*
    किचन में जाकर सब्जियों को साफ करती है,तो कभी मसाले निकलती है।बार बार अपने हाथों को धोती है,आटा मलती है,बर्तनों को कपड़े से पोंछती है।वही दही जमाती घी बनाती है
    और तुम कहते हो खाना में कितनी देर लगेगी ???

    *स्त्रियां*
    बाजार जाती है।एक एक सामान को ठहराती है,अच्छी सब्जियों फलों को छाट ती है,पैसे बचाने के चक्कर में पैदल
    चल देती है,भीड में दुकान को तलाशती है।और तुम कहते हो कि इतनी देर से क्या ले रही थी ???

    *स्त्रियां*
    बच्चो और पति के जाने के बाद चादर की सलवटे सुधारती है,सोफे के कुशन को ठीक करती है,सब्जियां फ्रीज में रखती है,कपड़े घड़ी प्रेस करती है,राशन जमाती है,पौधों में पानी डालती है,कमरे साफ करती है,बर्तन सामान जमाती है,और तुम कहते हो कि दिनभर से क्या कर रही थी ???

    *स्त्रियां*
    कही जाने के लिए तैयार होते समय कपड़ो को उठाकर लाती है,दूध खाना फ्रिज में रखती है बच्चो को हिदायते देती है,नल चेक करती है,दरवाजे लगाती है,फिर खुद को खूबसूरत बनाती है ताकि तुमको अच्छा लगे और तुम कहते हो कितनी देर में तैयार होती हो।

    *स्त्रियां*
    बच्चो की पढ़ाई डिस्कस करती,खाना पूछती,घर का हिसाब बताती,रिश्ते नातों की हालचाल बताती,फीस बिल याद दिलाती और तुम कह देते कि कितना बोलती हो।

    *स्त्रियां*
    दिनभर काम करके थोड़ा दर्द तुमसे बाट देती है,मायके की कभी याद आने पर दुखी होती है,बच्चों के नंबर कम आने पर परेशान होती है,थोड़ा सा आसू अपने आप आ जाते है,मायके में ससुराल की इज़्ज़त,ससुराल में मायके की बात को रखने के लिए कुछ बाते बनाती और तुम कहते हो की स्त्रियां कितनी नाटकबाज होती है।

    सचमुच में स्त्रियां किसी भी घर के लिए कितना कुछ करती हैं एक धर्मपत्नी को यूं ही नहीं अर्धांगिनी माना गया है तथा सनातन धर्म में पूजनीय रखा गया है
    एक विवाहित स्त्री एक समय में दो हाथ होने के बावजूद 9 कार्यों को एक साथ कर सकती है अतः प्रत्येक स्त्री में 9 रूप समाहित होते हैं स्त्रियों का सम्मान सर्वोपरि है क्योंकि वह धरातल पर मानव के अस्तित्व का आधार है
    *स्त्रियां* बाथरूम मे जाकर कपड़े भिगोती हैं,बच्चो और पति की शर्ट की कॉलर घिसती है,बाथरूम का फर्श धोती है ताकि चिकना न रहे,फिर बाल्टी और मग भी मांजती है तब जाकर नहाती है और तुम कहते हो कि स्त्रियां नहाने में कितनी देर लगातीं है। *स्त्रियां* किचन में जाकर सब्जियों को साफ करती है,तो कभी मसाले निकलती है।बार बार अपने हाथों को धोती है,आटा मलती है,बर्तनों को कपड़े से पोंछती है।वही दही जमाती घी बनाती है और तुम कहते हो खाना में कितनी देर लगेगी ??? *स्त्रियां* बाजार जाती है।एक एक सामान को ठहराती है,अच्छी सब्जियों फलों को छाट ती है,पैसे बचाने के चक्कर में पैदल चल देती है,भीड में दुकान को तलाशती है।और तुम कहते हो कि इतनी देर से क्या ले रही थी ??? *स्त्रियां* बच्चो और पति के जाने के बाद चादर की सलवटे सुधारती है,सोफे के कुशन को ठीक करती है,सब्जियां फ्रीज में रखती है,कपड़े घड़ी प्रेस करती है,राशन जमाती है,पौधों में पानी डालती है,कमरे साफ करती है,बर्तन सामान जमाती है,और तुम कहते हो कि दिनभर से क्या कर रही थी ??? *स्त्रियां* कही जाने के लिए तैयार होते समय कपड़ो को उठाकर लाती है,दूध खाना फ्रिज में रखती है बच्चो को हिदायते देती है,नल चेक करती है,दरवाजे लगाती है,फिर खुद को खूबसूरत बनाती है ताकि तुमको अच्छा लगे और तुम कहते हो कितनी देर में तैयार होती हो। *स्त्रियां* बच्चो की पढ़ाई डिस्कस करती,खाना पूछती,घर का हिसाब बताती,रिश्ते नातों की हालचाल बताती,फीस बिल याद दिलाती और तुम कह देते कि कितना बोलती हो। *स्त्रियां* दिनभर काम करके थोड़ा दर्द तुमसे बाट देती है,मायके की कभी याद आने पर दुखी होती है,बच्चों के नंबर कम आने पर परेशान होती है,थोड़ा सा आसू अपने आप आ जाते है,मायके में ससुराल की इज़्ज़त,ससुराल में मायके की बात को रखने के लिए कुछ बाते बनाती और तुम कहते हो की स्त्रियां कितनी नाटकबाज होती है। सचमुच में स्त्रियां किसी भी घर के लिए कितना कुछ करती हैं एक धर्मपत्नी को यूं ही नहीं अर्धांगिनी माना गया है तथा सनातन धर्म में पूजनीय रखा गया है एक विवाहित स्त्री एक समय में दो हाथ होने के बावजूद 9 कार्यों को एक साथ कर सकती है अतः प्रत्येक स्त्री में 9 रूप समाहित होते हैं स्त्रियों का सम्मान सर्वोपरि है क्योंकि वह धरातल पर मानव के अस्तित्व का आधार है
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