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  • मैं तो चुप हूँ तुम्हें कुछ कहना है क्या...
    मैं तो बस डूब रही हूँ तुम्हें अब भी बहना है क्या...
    मेरे बरदाश्त के बाहर है जो दर्द अभी तुम्हें सहना है क्या...
    मेरा दिल तो खंडहर टूटा तुम्हें इसमें अब भी रहना है क्या...
    सुखों के जेवर नहीं भाये मुझको दुःखों का कोई गहना है क्या...
    मिट्टी के घरोंदों की किस्मत में लिखा महज़ ढ़हना है क्या...
    "मोरनी"
    मैं तो चुप हूँ तुम्हें कुछ कहना है क्या... मैं तो बस डूब रही हूँ तुम्हें अब भी बहना है क्या... मेरे बरदाश्त के बाहर है जो दर्द अभी तुम्हें सहना है क्या... मेरा दिल तो खंडहर टूटा तुम्हें इसमें अब भी रहना है क्या... सुखों के जेवर नहीं भाये मुझको दुःखों का कोई गहना है क्या... मिट्टी के घरोंदों की किस्मत में लिखा महज़ ढ़हना है क्या... "मोरनी"
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  • मूक हैं प्रभु प्रार्थना मेरी
    स्वीकार तो कर लोगे न ?

    बहुत अज्ञानी हूँ मैं
    अंगीकार कर लोगे न ?

    नाव कच्ची मिट्टी की देह की
    भव सागर से पार कर दोगे न ?

    हैं बहुत सी त्रुटियाँ अभी बाकी
    मुझ में सुधार कर दोगे न ?

    तेरे सिवा कोई नहीं मेरा
    मुझ से तुम प्यार कर लोगे न ?

    काँटों भरी है खिज़ा जिंदगी की
    राहों को मेरी बहार कर दोगे न?

    मुझे तो है भरोसा तुम पर
    तुम भी मेरा ऐतबार कर लोगे न?

    संसार में रहूँ पर न हो संसार मुझ में
    तुम इतना मुझ पर उपकार कर दोगे न?
    "मोरनी"
    मूक हैं प्रभु प्रार्थना मेरी स्वीकार तो कर लोगे न ? बहुत अज्ञानी हूँ मैं अंगीकार कर लोगे न ? नाव कच्ची मिट्टी की देह की भव सागर से पार कर दोगे न ? हैं बहुत सी त्रुटियाँ अभी बाकी मुझ में सुधार कर दोगे न ? तेरे सिवा कोई नहीं मेरा मुझ से तुम प्यार कर लोगे न ? काँटों भरी है खिज़ा जिंदगी की राहों को मेरी बहार कर दोगे न? मुझे तो है भरोसा तुम पर तुम भी मेरा ऐतबार कर लोगे न? संसार में रहूँ पर न हो संसार मुझ में तुम इतना मुझ पर उपकार कर दोगे न? "मोरनी"
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  • मेरी हृदय की भाषा

    मेरे भावों की परिभाषा

    तुझसे सब उद्गार हैं मेरे

    शब्द सभी साकार हैं मेरे

    एक दिवस से कैसे पहचानूँ

    मातृभाषा को जीवन मानूँ

    तेरा सम्मान अभिमान है मेरा

    लेखन यह आसान है मेरा

    लिखने को अंग्रेजी भी लिख लूँ

    पर किस शब्द में आनंद कह दूँ

    हिंदी भाषी हिंदुस्तानी हो कर

    हुआ अकिंचन जीवन सार्थक

    नमन भारतेन्दु हरिशचँद्र को जाए

    काश़ हिंदी राष्ट्र भाषा का गौरव पा जाए

    हिंदी मीठी मधुर माँ की लोरी सी

    अंग्रेजी फैशनेबल गौरी सी

    अंग्रेज़ी से द्वेष नहीं है

    मातृभाषा बिन देश यह मेरा देश नहीं है

    हिंदी अपनाओ तभी जयहिंद कह पाओगे

    एक सूत्र में बंध सुरक्षित रह पाओगे ....

    (हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं)
    मेरी हृदय की भाषा मेरे भावों की परिभाषा तुझसे सब उद्गार हैं मेरे शब्द सभी साकार हैं मेरे एक दिवस से कैसे पहचानूँ मातृभाषा को जीवन मानूँ तेरा सम्मान अभिमान है मेरा लेखन यह आसान है मेरा लिखने को अंग्रेजी भी लिख लूँ पर किस शब्द में आनंद कह दूँ हिंदी भाषी हिंदुस्तानी हो कर हुआ अकिंचन जीवन सार्थक नमन भारतेन्दु हरिशचँद्र को जाए काश़ हिंदी राष्ट्र भाषा का गौरव पा जाए हिंदी मीठी मधुर माँ की लोरी सी अंग्रेजी फैशनेबल गौरी सी अंग्रेज़ी से द्वेष नहीं है मातृभाषा बिन देश यह मेरा देश नहीं है हिंदी अपनाओ तभी जयहिंद कह पाओगे एक सूत्र में बंध सुरक्षित रह पाओगे .... (हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं)
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  • हृदय की सारी अधीरता ने
    धैर्य धारण किया होगा
    और रचयिता ने
    कठोरतम संकल्प से
    कोमलता को आकार दिया होगा
    और स्त्री-पुरुष को रचा होगा
    फिर कोमलता ने स्त्री और
    कठोरता ने पुरुष को
    परिभाषित इस जग में किया होगा
    परंतु सच तो यही है न ....
    स्त्री, पुरुष की अपेक्षा
    बेहतरीन कृति साबित हुई होगी
    तभी तो जन्मदात्री माँ को ही चुना होगा...
    कोमल होना कमजोरी नहीं
    पुरुष को यह तो अंततः समझना ही होगा।
    "मोरनी"
    हृदय की सारी अधीरता ने धैर्य धारण किया होगा और रचयिता ने कठोरतम संकल्प से कोमलता को आकार दिया होगा और स्त्री-पुरुष को रचा होगा फिर कोमलता ने स्त्री और कठोरता ने पुरुष को परिभाषित इस जग में किया होगा परंतु सच तो यही है न .... स्त्री, पुरुष की अपेक्षा बेहतरीन कृति साबित हुई होगी तभी तो जन्मदात्री माँ को ही चुना होगा... कोमल होना कमजोरी नहीं पुरुष को यह तो अंततः समझना ही होगा। "मोरनी"
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  • तुम मेरी कमियाँ गिनाते रहो
    मैं तुम्हारी खूबियाँ बटोर कर
    चली जाउँगी....

    तुम तल्ख़ जुबाँ से तंज़ कसते रहो
    मैं बस यूँ ही मुस्कुरा कर
    चली जाउँगी.....

    तुम तपते रहो ताबाँ की मांनिद
    मैं आँचल का साया लहरा कर
    चली जाउँगी....

    तुम रात भर करवटें बदलते रहो
    मैं तुम्हारे सिरहाने ख़्वाब छुपा कर
    चली जाउँगी .....

    तुम मुझ पर तौहमत लगाते रहो
    मैं वफ़ा अपनी निभा कर
    चली जाउँगी.....
    "मोरनी"
    तुम मेरी कमियाँ गिनाते रहो मैं तुम्हारी खूबियाँ बटोर कर चली जाउँगी.... तुम तल्ख़ जुबाँ से तंज़ कसते रहो मैं बस यूँ ही मुस्कुरा कर चली जाउँगी..... तुम तपते रहो ताबाँ की मांनिद मैं आँचल का साया लहरा कर चली जाउँगी.... तुम रात भर करवटें बदलते रहो मैं तुम्हारे सिरहाने ख़्वाब छुपा कर चली जाउँगी ..... तुम मुझ पर तौहमत लगाते रहो मैं वफ़ा अपनी निभा कर चली जाउँगी..... "मोरनी"
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  • चुप सी लगा ली है मैने
    खामोशी चुरा ली है मैने
    तुम भी बस खामोश रहो
    न मेरी सुनो न अपनी कहो
    मुस्कान छुपा ली है मैने
    बातों से विदा ली है मैने
    अब तो साया भी साथ नहीं
    हर शमां बुझा दी है मैंने
    तुम सुबहों को सहेजे रखो
    रात बिछा ली है मैने...."मोरनी"
    चुप सी लगा ली है मैने खामोशी चुरा ली है मैने तुम भी बस खामोश रहो न मेरी सुनो न अपनी कहो मुस्कान छुपा ली है मैने बातों से विदा ली है मैने अब तो साया भी साथ नहीं हर शमां बुझा दी है मैंने तुम सुबहों को सहेजे रखो रात बिछा ली है मैने...."मोरनी"
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