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  • प्रिय सखी...
    माना कि अभी तन्हा हूं मैं
    सोचती हूं कि
    तेरे ख्यालों में कितनी बची हूं मैं

    न भीड़ है न तमाशा कोई
    लगता है कि
    बंद आंखों से तुझे देखती हूं मैं

    माना कि अभी चुप हूं मैं
    महसूस करो
    कानों में तुम्हारे कुछ बोलती हूं मैं

    माना कि सिरसा से गुम हो चुकी हूं मैं
    नारनौंद की गलियों में
    सिर्फ़ तुम्हें ही तो ढ़ूंढ़ती हूं मैं

    चले जाना ही जाना नहीं होता है
    जानती हो न तुम
    ख़्वाबों में तुम तक लौटती हूं मैं ।
    "मोरनी"
    प्रिय सखी... माना कि अभी तन्हा हूं मैं सोचती हूं कि तेरे ख्यालों में कितनी बची हूं मैं न भीड़ है न तमाशा कोई लगता है कि बंद आंखों से तुझे देखती हूं मैं माना कि अभी चुप हूं मैं महसूस करो कानों में तुम्हारे कुछ बोलती हूं मैं माना कि सिरसा से गुम हो चुकी हूं मैं नारनौंद की गलियों में सिर्फ़ तुम्हें ही तो ढ़ूंढ़ती हूं मैं चले जाना ही जाना नहीं होता है जानती हो न तुम ख़्वाबों में तुम तक लौटती हूं मैं । "मोरनी"
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  • किसे हरित क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है
    किसे हरित क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है
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  • आँसू की बिसात ही क्या
    जब जी चाहा निकल गया
    इसने तब तब छोड़ा साथ
    जब हृदय दर्द विकल रहा
    आँखों से संबध भी इसका
    देखो कितना विफल रहा
    यह कायर क्या जीना जाने
    खुदकुशी में ही सफल रहा
    इसका करे क्या भरोसा कोई
    यह खुशियों में भी छलक गया
    फ़रेबी आँसू यह बंजारा सा
    हर ढाढस पा कर बहक गया
    आँसू खारा पानी या मोती
    सोचो इसका मोल है क्या
    कीमत इसकी आंक सके
    दुनिया की औकात है क्या
    भीतर गिरता जलाता हिय को
    यह भी भला कोई बात है क्या...
    "मोरनी"
    आँसू की बिसात ही क्या जब जी चाहा निकल गया इसने तब तब छोड़ा साथ जब हृदय दर्द विकल रहा आँखों से संबध भी इसका देखो कितना विफल रहा यह कायर क्या जीना जाने खुदकुशी में ही सफल रहा इसका करे क्या भरोसा कोई यह खुशियों में भी छलक गया फ़रेबी आँसू यह बंजारा सा हर ढाढस पा कर बहक गया आँसू खारा पानी या मोती सोचो इसका मोल है क्या कीमत इसकी आंक सके दुनिया की औकात है क्या भीतर गिरता जलाता हिय को यह भी भला कोई बात है क्या... "मोरनी"
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  • हे कान्हा...
    जब जब मैंने पग धरा
    तब तब तुमने हाथ धरा
    जब जब डगमग हुए कदम
    तूने मुझको थाम लिया
    क्या मांगूं तुमसे मैं प्रभु
    हरपल तेरा स्नेह मिला
    तुम तो सर्वज्ञ हो प्रभु
    तुमने यह संसार रचा
    गुण अवगुण हैं तुमको अर्पित
    अब तुम ही करो उद्धार सखा ll
    "मोरनी "🙏🏻🙏🏻
    हे कान्हा... जब जब मैंने पग धरा तब तब तुमने हाथ धरा जब जब डगमग हुए कदम तूने मुझको थाम लिया क्या मांगूं तुमसे मैं प्रभु हरपल तेरा स्नेह मिला तुम तो सर्वज्ञ हो प्रभु तुमने यह संसार रचा गुण अवगुण हैं तुमको अर्पित अब तुम ही करो उद्धार सखा ll "मोरनी "🙏🏻🙏🏻
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  • बिहारी जी सब तुम्हारी ईच्छा 🙏🏻🙏🏻

    "सबकुछ कहना"जरूरी नहीं होता,
    हर दर्द लफ़्ज़ों में, बयां नहीं होता,

    पढ़ लो! मेरी आँखों में लिखी है,
    दिलचस्प मेरे जीवन की दास्तां है.।।

    मुश्किल थी राहें, बीती ज़िंदगी की,
    आगे का सफर भी, कहां आसाँ है,

    नहीं बिखरी नहीं टूटी, मैं अबतक भी..
    देखकर यह ज़ालिम वक्त भी हैरां है..।।

    टिमटिमाता सा दिया हूंँ ,रोशन हूंँ,
    निगेहबान मेरा, आँधी औ तूफां है..

    मुझे न गिला, शिकवा,शिकायत दुनिया से कोई,
    सुना है मैनें.. सितारों के आगे मुक्कमल जहाँ है...
    "मोरनी"
    बिहारी जी सब तुम्हारी ईच्छा 🙏🏻🙏🏻 "सबकुछ कहना"जरूरी नहीं होता, हर दर्द लफ़्ज़ों में, बयां नहीं होता, पढ़ लो! मेरी आँखों में लिखी है, दिलचस्प मेरे जीवन की दास्तां है.।। मुश्किल थी राहें, बीती ज़िंदगी की, आगे का सफर भी, कहां आसाँ है, नहीं बिखरी नहीं टूटी, मैं अबतक भी.. देखकर यह ज़ालिम वक्त भी हैरां है..।। टिमटिमाता सा दिया हूंँ ,रोशन हूंँ, निगेहबान मेरा, आँधी औ तूफां है.. मुझे न गिला, शिकवा,शिकायत दुनिया से कोई, सुना है मैनें.. सितारों के आगे मुक्कमल जहाँ है... "मोरनी"😔
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  • चूमती सी तुम्हारी नज़र
    हौले से जो छू गई
    साँस मानो थम गई
    धड़कनें भी रुक गई
    एक बूँद चख कर इश्क़
    यह तिश्नगी क्यों बढ़ गई
    दीद की थी तलब बहुत
    पर पलक यूँ ही झुक गई
    दास्ताँ एक लम्हे की थी
    सदियों तक ठहर गई
    कोई मीठी सी कसक
    दिल में घर कर गई l
    "मोरनी"
    चूमती सी तुम्हारी नज़र हौले से जो छू गई साँस मानो थम गई धड़कनें भी रुक गई एक बूँद चख कर इश्क़ यह तिश्नगी क्यों बढ़ गई दीद की थी तलब बहुत पर पलक यूँ ही झुक गई दास्ताँ एक लम्हे की थी सदियों तक ठहर गई कोई मीठी सी कसक दिल में घर कर गई l "मोरनी"
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