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चूमती सी तुम्हारी नज़र
हौले से जो छू गई
साँस मानो थम गई
धड़कनें भी रुक गई
एक बूँद चख कर इश्क़
यह तिश्नगी क्यों बढ़ गई
दीद की थी तलब बहुत
पर पलक यूँ ही झुक गई
दास्ताँ एक लम्हे की थी
सदियों तक ठहर गई
कोई मीठी सी कसक
दिल में घर कर गई l
"मोरनी"
चूमती सी तुम्हारी नज़र हौले से जो छू गई साँस मानो थम गई धड़कनें भी रुक गई एक बूँद चख कर इश्क़ यह तिश्नगी क्यों बढ़ गई दीद की थी तलब बहुत पर पलक यूँ ही झुक गई दास्ताँ एक लम्हे की थी सदियों तक ठहर गई कोई मीठी सी कसक दिल में घर कर गई l "मोरनी"
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