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अच्छी थी पगडंडी अपनी
सडकों पर तो जाम बहुत है
फुर्र हो गयी फ़ुरसत अब तो
सबके पास काम बहुत है
नहीं जरूरत बूढ़ों की अब
बच्चा बुद्धिमान बहुत है
उजड़ गए सब बाग बगीचे
दो गमलों में शान बहुत है
चाय के शौकीन कहाँ अब
कॉफ़ी के तलबगार बहुत हैं
हो गए हीटर के इतने आदी
कहते हैं कि पाला बहुत है
झुके झुके स्कूली बच्चे
बस्तों में सामान बहुत है
सुविधाओं का है ढेर लगा
पर इंसान परेशान बहुत है l
" मोरनी "
अच्छी थी पगडंडी अपनी सडकों पर तो जाम बहुत है फुर्र हो गयी फ़ुरसत अब तो सबके पास काम बहुत है नहीं जरूरत बूढ़ों की अब बच्चा बुद्धिमान बहुत है उजड़ गए सब बाग बगीचे दो गमलों में शान बहुत है चाय के शौकीन कहाँ अब कॉफ़ी के तलबगार बहुत हैं हो गए हीटर के इतने आदी कहते हैं कि पाला बहुत है झुके झुके स्कूली बच्चे बस्तों में सामान बहुत है सुविधाओं का है ढेर लगा पर इंसान परेशान बहुत है l " मोरनी "
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