आँसू की बिसात ही क्या
जब जी चाहा निकल गया
इसने तब तब छोड़ा साथ
जब हृदय दर्द विकल रहा
आँखों से संबध भी इसका
देखो कितना विफल रहा
यह कायर क्या जीना जाने
खुदकुशी में ही सफल रहा
इसका करे क्या भरोसा कोई
यह खुशियों में भी छलक गया
फ़रेबी आँसू यह बंजारा सा
हर ढाढस पा कर बहक गया
आँसू खारा पानी या मोती
सोचो इसका मोल है क्या
कीमत इसकी आंक सके
दुनिया की औकात है क्या
भीतर गिरता जलाता हिय को
यह भी भला कोई बात है क्या...
"मोरनी"
जब जी चाहा निकल गया
इसने तब तब छोड़ा साथ
जब हृदय दर्द विकल रहा
आँखों से संबध भी इसका
देखो कितना विफल रहा
यह कायर क्या जीना जाने
खुदकुशी में ही सफल रहा
इसका करे क्या भरोसा कोई
यह खुशियों में भी छलक गया
फ़रेबी आँसू यह बंजारा सा
हर ढाढस पा कर बहक गया
आँसू खारा पानी या मोती
सोचो इसका मोल है क्या
कीमत इसकी आंक सके
दुनिया की औकात है क्या
भीतर गिरता जलाता हिय को
यह भी भला कोई बात है क्या...
"मोरनी"
आँसू की बिसात ही क्या
जब जी चाहा निकल गया
इसने तब तब छोड़ा साथ
जब हृदय दर्द विकल रहा
आँखों से संबध भी इसका
देखो कितना विफल रहा
यह कायर क्या जीना जाने
खुदकुशी में ही सफल रहा
इसका करे क्या भरोसा कोई
यह खुशियों में भी छलक गया
फ़रेबी आँसू यह बंजारा सा
हर ढाढस पा कर बहक गया
आँसू खारा पानी या मोती
सोचो इसका मोल है क्या
कीमत इसकी आंक सके
दुनिया की औकात है क्या
भीतर गिरता जलाता हिय को
यह भी भला कोई बात है क्या...
"मोरनी"
