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शब्द भ्रम हैं शब्द खोखले
शब्दों से मत भरमाओ तुम
शब्द मायावी शब्द कल्पना
यथार्थ से मत घबराओ तुम
शब्द राख हैं शब्द निरर्थक
समझो और समझाओ तुम
शब्द उलझाते शब्द बहलाते
मत शब्दों का जाल फैलाओ तुम
मेरा मौन तो मूक बधिर है
पहचाने केवल प्रेम की भाषा
तुम्हारे शब्द हैं तीक्ष्ण बाण से
जो हैं मेरे मन पर घाव ।।
"मोरनी"
शब्द भ्रम हैं शब्द खोखले शब्दों से मत भरमाओ तुम शब्द मायावी शब्द कल्पना यथार्थ से मत घबराओ तुम शब्द राख हैं शब्द निरर्थक समझो और समझाओ तुम शब्द उलझाते शब्द बहलाते मत शब्दों का जाल फैलाओ तुम मेरा मौन तो मूक बधिर है पहचाने केवल प्रेम की भाषा तुम्हारे शब्द हैं तीक्ष्ण बाण से जो हैं मेरे मन पर घाव ।। "मोरनी"
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