Sponsored
एहतराम करुंगी मैं हमेशा तुम्हारा..
चुपचाप यूँ ही बस नज़रें झुकाकर!

चले आना जब थकने लगे शब्द!
बैठना, काँधे पर मेरे सिर को टिका कर!

न शर्तें , न वादे , न किस्से, न कहानी..
लाना बस खुद को एक विद्यार्थी बनाकर!

दो पल जो गुजारेंगे हम शामे खामोशी में..
बारहा गुनगुनाऊँगी उन्हें मैं नज़्में बनाकर!

तुम्हें जाना तो पड़ेगा हर बार की तरह ..
थोड़ा सा मगर रख लूँगी दुआओं में छुपाकर!
"मोरनी"
एहतराम करुंगी मैं हमेशा तुम्हारा.. चुपचाप यूँ ही बस नज़रें झुकाकर! चले आना जब थकने लगे शब्द! बैठना, काँधे पर मेरे सिर को टिका कर! न शर्तें , न वादे , न किस्से, न कहानी.. लाना बस खुद को एक विद्यार्थी बनाकर! दो पल जो गुजारेंगे हम शामे खामोशी में.. बारहा गुनगुनाऊँगी उन्हें मैं नज़्में बनाकर! तुम्हें जाना तो पड़ेगा हर बार की तरह .. थोड़ा सा मगर रख लूँगी दुआओं में छुपाकर! "मोरनी"
0 Comments 0 Shares 1K Views