स्त्रियाँ जब भी मिलती हैं
बेहद बात करती हैं
खोलती हैं मन की गांठे
जैसे पुरानी संदूक से निकली गठरी खुली हो।
हँसती हैं, खूब हँसती हैं
रोती हैं तो जरा सी आँख भर बस
दुनिया भर की बातें हैं इनके पास
दुनिया भर के उल्हाने
दुनिया भर के दुःख
दुनिया भर की खुशियाँ ll "मोरनी"
बेहद बात करती हैं
खोलती हैं मन की गांठे
जैसे पुरानी संदूक से निकली गठरी खुली हो।
हँसती हैं, खूब हँसती हैं
रोती हैं तो जरा सी आँख भर बस
दुनिया भर की बातें हैं इनके पास
दुनिया भर के उल्हाने
दुनिया भर के दुःख
दुनिया भर की खुशियाँ ll "मोरनी"
स्त्रियाँ जब भी मिलती हैं
बेहद बात करती हैं
खोलती हैं मन की गांठे
जैसे पुरानी संदूक से निकली गठरी खुली हो।
हँसती हैं, खूब हँसती हैं
रोती हैं तो जरा सी आँख भर बस
दुनिया भर की बातें हैं इनके पास
दुनिया भर के उल्हाने
दुनिया भर के दुःख
दुनिया भर की खुशियाँ ll "मोरनी"
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