हृदय की सारी अधीरता ने
धैर्य धारण किया होगा
और रचयिता ने
कठोरतम संकल्प से
कोमलता को आकार दिया होगा
और स्त्री-पुरुष को रचा होगा
फिर कोमलता ने स्त्री और
कठोरता ने पुरुष को
परिभाषित इस जग में किया होगा
परंतु सच तो यही है न ....
स्त्री, पुरुष की अपेक्षा
बेहतरीन कृति साबित हुई होगी
तभी तो जन्मदात्री माँ को ही चुना होगा...
कोमल होना कमजोरी नहीं
पुरुष को यह तो अंततः समझना ही होगा।
"मोरनी"
धैर्य धारण किया होगा
और रचयिता ने
कठोरतम संकल्प से
कोमलता को आकार दिया होगा
और स्त्री-पुरुष को रचा होगा
फिर कोमलता ने स्त्री और
कठोरता ने पुरुष को
परिभाषित इस जग में किया होगा
परंतु सच तो यही है न ....
स्त्री, पुरुष की अपेक्षा
बेहतरीन कृति साबित हुई होगी
तभी तो जन्मदात्री माँ को ही चुना होगा...
कोमल होना कमजोरी नहीं
पुरुष को यह तो अंततः समझना ही होगा।
"मोरनी"
हृदय की सारी अधीरता ने
धैर्य धारण किया होगा
और रचयिता ने
कठोरतम संकल्प से
कोमलता को आकार दिया होगा
और स्त्री-पुरुष को रचा होगा
फिर कोमलता ने स्त्री और
कठोरता ने पुरुष को
परिभाषित इस जग में किया होगा
परंतु सच तो यही है न ....
स्त्री, पुरुष की अपेक्षा
बेहतरीन कृति साबित हुई होगी
तभी तो जन्मदात्री माँ को ही चुना होगा...
कोमल होना कमजोरी नहीं
पुरुष को यह तो अंततः समझना ही होगा।
"मोरनी"