तुम मेरी कमियाँ गिनाते रहो
मैं तुम्हारी खूबियाँ बटोर कर
चली जाउँगी....
तुम तल्ख़ जुबाँ से तंज़ कसते रहो
मैं बस यूँ ही मुस्कुरा कर
चली जाउँगी.....
तुम तपते रहो ताबाँ की मांनिद
मैं आँचल का साया लहरा कर
चली जाउँगी....
तुम रात भर करवटें बदलते रहो
मैं तुम्हारे सिरहाने ख़्वाब छुपा कर
चली जाउँगी .....
तुम मुझ पर तौहमत लगाते रहो
मैं वफ़ा अपनी निभा कर
चली जाउँगी.....
"मोरनी"
मैं तुम्हारी खूबियाँ बटोर कर
चली जाउँगी....
तुम तल्ख़ जुबाँ से तंज़ कसते रहो
मैं बस यूँ ही मुस्कुरा कर
चली जाउँगी.....
तुम तपते रहो ताबाँ की मांनिद
मैं आँचल का साया लहरा कर
चली जाउँगी....
तुम रात भर करवटें बदलते रहो
मैं तुम्हारे सिरहाने ख़्वाब छुपा कर
चली जाउँगी .....
तुम मुझ पर तौहमत लगाते रहो
मैं वफ़ा अपनी निभा कर
चली जाउँगी.....
"मोरनी"
तुम मेरी कमियाँ गिनाते रहो
मैं तुम्हारी खूबियाँ बटोर कर
चली जाउँगी....
तुम तल्ख़ जुबाँ से तंज़ कसते रहो
मैं बस यूँ ही मुस्कुरा कर
चली जाउँगी.....
तुम तपते रहो ताबाँ की मांनिद
मैं आँचल का साया लहरा कर
चली जाउँगी....
तुम रात भर करवटें बदलते रहो
मैं तुम्हारे सिरहाने ख़्वाब छुपा कर
चली जाउँगी .....
तुम मुझ पर तौहमत लगाते रहो
मैं वफ़ा अपनी निभा कर
चली जाउँगी.....
"मोरनी"