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मैंने सुना था कि
बिना समाधान के कोई समस्या नहीं होती है
और
हर ताले से पहले उसकी चाबी बनाई जाती है
परंतु
ज़हन पर पड़े तालों की चाबियों
की
तलाश है मुझे और मैं प्रयासरत हूं
ताकि
संशय, पूर्वाग्रह और संकीर्ण मानसिकता से मुक्त
समाज में
खुलकर, खिलकर सांस ले सकूं
कहां मिलेगी मुझे वह चाबी
ज्ञान की ....

"प्रियंका मोर"
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