दोस्तों, जीवन में चुनौतियाँ, शुरुआती असफलता या नकारात्मक लहजे में कहूँ तो समस्याएँ और परेशानियाँ उन ही लोगों के हिस्से में आती हैं जो अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिये या अपने सपनों को सच करने के लिये प्रयास कर रहे होते हैं याने मेहनत कर रहे होते हैं। इसका अर्थ हुआ चुनौतियाँ, शुरुआती असफलता, समस्याएँ और परेशानियाँ कभी भी अंतिम परिणाम नहीं हो सकती हैं। यह तो सफलता की राह में मिलने वाले छोटे-छोटे पड़ाव हैं। इसीलिये तो कहा गया है, ‘जब तक आप अपनी हार स्वीकार नहीं करते, तब तक आपको कोई भी हरा नहीं सकता।’

जी हाँ साथियों, हार-जीत, अच्छा-बुरा, सही-ग़लत आदि सभी बातें सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे नज़रिये याने घटनाओं को देखने के हमारे तरीक़े पर निर्भर करती है। इसीलिये मेरा मानना है कि अगर आप अपना जीवन अच्छा बनाना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले अपने नज़रिये को बेहतर बनाना होगा और यह सिर्फ़ और सिर्फ़ तब हो सकता है, जब आप तथाकथित नकारात्मक घटनाओं को सकारात्मक नज़रिये से देखना शुरू कर दें।

आइये, कुछ नकारात्मक अनुभवों या भावों को सकारात्मक नज़रिये से देखने का प्रयास करेंगे जिससे हम हर हाल में जीवन में आगे बढ सकें।

१) असंतोष

जब कोई हमारी इच्छा या अपेक्षा के अनुरूप कार्य या व्यवहार नहीं करता है, तब असंतोष की स्थिति निर्मित होती है। ऐसे समय में अक्सर हम उस कार्य या व्यवहार की ज़िम्मेदारी ख़ुद पर ले लेते हैं और अपनी पूरी क्षमता के साथ उस कार्य को अच्छे से पूर्ण करने का प्रयास करते हैं। इसका अर्थ हुआ सामने वाले के अपेक्षापूर्ण व्यवहार या कार्य ना कर पाने के कारण ही आपने अपने अंदर झाँका, अपनी क्षमताओं को पहचाना और अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए सफलता प्राप्त करी। अर्थात् आपने महानता भरा काम किया। जैसे ही आप पूरी स्थिति को इस नज़रिये से देखेंगे तो आप पायेंगे कि अब आपके अंदर सामने वाले के लिये ग़ुस्से का भाव नहीं है और अब आप इसके लिये सामने वाले के प्रति धन्यवाद के भाव से भरे हुए हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो असंतोष में धन्यवाद का भाव रखना आपको अपने अंदर झांकने का मौक़ा देता है जिसके कारण आप अपने अंदर छुपी असीमित क्षमताओं को पहचान सकते हैं और ख़ुद को महान बना सकते हैं।

२) विफलता

विफलता के लिये भी धन्यवाद का भाव रखें क्योंकि यह आपको अपनी कमज़ोरियों को पहचानने का मौक़ा देती है। साथ ही विफलता से प्राप्त अनुभव आपको समझदार और स्पष्ट बनाता है। जिससे आप आनेवाले समय में सही निर्णय लेकर सफलता प्राप्त कर पाते हैं।

३) दिल टूटने पर

सामान्यतः दिल टूटने पर व्यक्ति स्वयम् को पूरी तरह नकारात्मक भावों के बीच घिरा हुआ और टूटा हुआ पाता है। ऐसे में अगर आप ख़ुद को याद दिलायें कि इस दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति सिर्फ़ और सिर्फ़ आप हैं और इसीलिये आप ख़ुद को सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं, तो आप ख़ुद को एक बार फिर रिबिल्ड कर पायेंगे। इसलिये ऐसी स्थिति में ईश्वर को धन्यवाद देते हुए कहें, ‘प्रभु, मुझे पूरी तरह से तोड़ने और एक नए रूप में जन्म देने के लिए धन्यवाद।’

४) ईर्ष्या

ईर्ष्या सामान्यतः तुलना का नतीजा होती है। ऐसे में ख़ुद को याद दिलायें कि इस स्थिति याने तुलना ने आपको वह पहचानने का मौक़ा दिया है जो आप गुप्त रूप से हासिल करना चाहते थे या यह उस स्थिति का प्रतिबिंब है जैसे आप बनना चाहते थे।

५) अकेलापन

जब भी आपको अकेलेपन का एहसास हो, ख़ुद को याद दिलायें कि यह समय इस दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण, विशेष और अच्छे व्यक्ति से मिलने का अवसर है और वह विशेष व्यक्ति आप स्वयं है। याने इस समय में आप ख़ुद के साथ समय बितायें, जिससे आप ख़ुद को और बेहतर तरीक़े से जान पायेंगे। इसके साथ ही ईश्वर को धन्यवाद दें कि उन्होंने आपको आराम करने, ख़ुद को खोजने और ख़ुद की सराहना करने का मौक़ा दिया है।

६) विश्वासघात

प्रभु, विश्वासघात के लिये मैं आपका शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ क्योंकि आपने मुझे समय रहते उन लोगों के प्रति सचेत कर दिया जो मुझे बड़ा नुक़सान पहुँचा सकते थे। दूसरे शब्दों में कहूँ तो प्रभु, समय से पूर्व सच्चाई और प्रामाणिकता से काम नहीं करने वाले लोगों के प्रति मुझे सचेत करने के लिये धन्यवाद!, इसकी सहायता से मैं अपने बड़े लक्ष्यों को अच्छे से, बिना रुकावट के पा पाऊँगा।

७) रिजेक्शन याने अस्वीकृति पर

रिजेक्शन या अस्वीकृति के माध्यम से ईश्वर हमें उनसे दूर करना चाहता है जिनका साथ आने वाले जीवन को ईश्वर की योजना के अनुरूप नहीं बनाता है। इसके साथ ही ईश्वर अस्वीकृति के माध्यम से हमारे जीवन को नई दिशा देना चाहता है या हमें पुनर्निर्देशित करना चाहता है। साथ ही अगर यह रिजेक्शन या अस्वीकृति रिश्ते से संबंधित हो तो इसका तात्पर्य है कि ईश्वर आपको ख़ुद से प्यार करना सिखाना चाहता है। इस अनुपम मौक़े के लिये ईश्वर को धन्यवाद दें।

८) बीच राह में छोड़ने या परित्याग करने पर

जीवन पथ पर आगे बढ़ते समय जो लोग मेरे समान प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं। जिनका साथ मुझे मेरे जीवन को ख़ुशनुमा नहीं बना सकता है, ईश्वर उनका साथ बीच राह में छुड़वा देता है; उनसे हमारा परित्याग करवा देता है। वैसे यह स्वयं को पूर्ण बनाने का ईश्वर द्वारा दिया हुआ स्वर्णिम मौक़ा होता है इसलिये इसके लिये भी ईश्वर के आभारी रहें।

९) दर्द के लिये

यह ईश्वर का आपको सशक्त और मज़बूत बनाने का नायब तरीक़ा है। यह बिना किसी धारणा के आपको अपनी भावनाओं को महसूस करने का मौक़ा देता है। इसके लिये भी ईश्वर के आभारी रहें।

दोस्तों, इन भावों और नज़रिये को विकसित करने के लिये आप ख़ुद को भी धन्यवाद कहें क्योंकि उपरोक्त अनुभव और नज़रिया आपको इस जीवन के प्रति सशक्त और पर्याप्त रूप से मज़बूत बनाता है जिससे आप हर हाल में खुश रहना सीख सकते हैं। यह आपको नकारात्मक अनुभवों के बाद ठीक होने, जीवन में आगे बढ़ने, विकास करने, बदलने, सक्षम बनने के साथ-साथ वह बनने का मौक़ा देता है, जिसके लिये ईश्वर ने आपको यह जन्म दिया है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो असफलता, परेशानी, मुश्किल या चुनौती का सामना मुस्कुरा कर करना सीख जाना असल में आपको हार को जीत में बदलना और हर हाल में खुश रहना सिखाता है।
दोस्तों, जीवन में चुनौतियाँ, शुरुआती असफलता या नकारात्मक लहजे में कहूँ तो समस्याएँ और परेशानियाँ उन ही लोगों के हिस्से में आती हैं जो अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिये या अपने सपनों को सच करने के लिये प्रयास कर रहे होते हैं याने मेहनत कर रहे होते हैं। इसका अर्थ हुआ चुनौतियाँ, शुरुआती असफलता, समस्याएँ और परेशानियाँ कभी भी अंतिम परिणाम नहीं हो सकती हैं। यह तो सफलता की राह में मिलने वाले छोटे-छोटे पड़ाव हैं। इसीलिये तो कहा गया है, ‘जब तक आप अपनी हार स्वीकार नहीं करते, तब तक आपको कोई भी हरा नहीं सकता।’ जी हाँ साथियों, हार-जीत, अच्छा-बुरा, सही-ग़लत आदि सभी बातें सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे नज़रिये याने घटनाओं को देखने के हमारे तरीक़े पर निर्भर करती है। इसीलिये मेरा मानना है कि अगर आप अपना जीवन अच्छा बनाना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले अपने नज़रिये को बेहतर बनाना होगा और यह सिर्फ़ और सिर्फ़ तब हो सकता है, जब आप तथाकथित नकारात्मक घटनाओं को सकारात्मक नज़रिये से देखना शुरू कर दें। आइये, कुछ नकारात्मक अनुभवों या भावों को सकारात्मक नज़रिये से देखने का प्रयास करेंगे जिससे हम हर हाल में जीवन में आगे बढ सकें। १) असंतोष जब कोई हमारी इच्छा या अपेक्षा के अनुरूप कार्य या व्यवहार नहीं करता है, तब असंतोष की स्थिति निर्मित होती है। ऐसे समय में अक्सर हम उस कार्य या व्यवहार की ज़िम्मेदारी ख़ुद पर ले लेते हैं और अपनी पूरी क्षमता के साथ उस कार्य को अच्छे से पूर्ण करने का प्रयास करते हैं। इसका अर्थ हुआ सामने वाले के अपेक्षापूर्ण व्यवहार या कार्य ना कर पाने के कारण ही आपने अपने अंदर झाँका, अपनी क्षमताओं को पहचाना और अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए सफलता प्राप्त करी। अर्थात् आपने महानता भरा काम किया। जैसे ही आप पूरी स्थिति को इस नज़रिये से देखेंगे तो आप पायेंगे कि अब आपके अंदर सामने वाले के लिये ग़ुस्से का भाव नहीं है और अब आप इसके लिये सामने वाले के प्रति धन्यवाद के भाव से भरे हुए हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो असंतोष में धन्यवाद का भाव रखना आपको अपने अंदर झांकने का मौक़ा देता है जिसके कारण आप अपने अंदर छुपी असीमित क्षमताओं को पहचान सकते हैं और ख़ुद को महान बना सकते हैं। २) विफलता विफलता के लिये भी धन्यवाद का भाव रखें क्योंकि यह आपको अपनी कमज़ोरियों को पहचानने का मौक़ा देती है। साथ ही विफलता से प्राप्त अनुभव आपको समझदार और स्पष्ट बनाता है। जिससे आप आनेवाले समय में सही निर्णय लेकर सफलता प्राप्त कर पाते हैं। ३) दिल टूटने पर सामान्यतः दिल टूटने पर व्यक्ति स्वयम् को पूरी तरह नकारात्मक भावों के बीच घिरा हुआ और टूटा हुआ पाता है। ऐसे में अगर आप ख़ुद को याद दिलायें कि इस दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति सिर्फ़ और सिर्फ़ आप हैं और इसीलिये आप ख़ुद को सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं, तो आप ख़ुद को एक बार फिर रिबिल्ड कर पायेंगे। इसलिये ऐसी स्थिति में ईश्वर को धन्यवाद देते हुए कहें, ‘प्रभु, मुझे पूरी तरह से तोड़ने और एक नए रूप में जन्म देने के लिए धन्यवाद।’ ४) ईर्ष्या ईर्ष्या सामान्यतः तुलना का नतीजा होती है। ऐसे में ख़ुद को याद दिलायें कि इस स्थिति याने तुलना ने आपको वह पहचानने का मौक़ा दिया है जो आप गुप्त रूप से हासिल करना चाहते थे या यह उस स्थिति का प्रतिबिंब है जैसे आप बनना चाहते थे। ५) अकेलापन जब भी आपको अकेलेपन का एहसास हो, ख़ुद को याद दिलायें कि यह समय इस दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण, विशेष और अच्छे व्यक्ति से मिलने का अवसर है और वह विशेष व्यक्ति आप स्वयं है। याने इस समय में आप ख़ुद के साथ समय बितायें, जिससे आप ख़ुद को और बेहतर तरीक़े से जान पायेंगे। इसके साथ ही ईश्वर को धन्यवाद दें कि उन्होंने आपको आराम करने, ख़ुद को खोजने और ख़ुद की सराहना करने का मौक़ा दिया है। ६) विश्वासघात प्रभु, विश्वासघात के लिये मैं आपका शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ क्योंकि आपने मुझे समय रहते उन लोगों के प्रति सचेत कर दिया जो मुझे बड़ा नुक़सान पहुँचा सकते थे। दूसरे शब्दों में कहूँ तो प्रभु, समय से पूर्व सच्चाई और प्रामाणिकता से काम नहीं करने वाले लोगों के प्रति मुझे सचेत करने के लिये धन्यवाद!, इसकी सहायता से मैं अपने बड़े लक्ष्यों को अच्छे से, बिना रुकावट के पा पाऊँगा। ७) रिजेक्शन याने अस्वीकृति पर रिजेक्शन या अस्वीकृति के माध्यम से ईश्वर हमें उनसे दूर करना चाहता है जिनका साथ आने वाले जीवन को ईश्वर की योजना के अनुरूप नहीं बनाता है। इसके साथ ही ईश्वर अस्वीकृति के माध्यम से हमारे जीवन को नई दिशा देना चाहता है या हमें पुनर्निर्देशित करना चाहता है। साथ ही अगर यह रिजेक्शन या अस्वीकृति रिश्ते से संबंधित हो तो इसका तात्पर्य है कि ईश्वर आपको ख़ुद से प्यार करना सिखाना चाहता है। इस अनुपम मौक़े के लिये ईश्वर को धन्यवाद दें। ८) बीच राह में छोड़ने या परित्याग करने पर जीवन पथ पर आगे बढ़ते समय जो लोग मेरे समान प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं। जिनका साथ मुझे मेरे जीवन को ख़ुशनुमा नहीं बना सकता है, ईश्वर उनका साथ बीच राह में छुड़वा देता है; उनसे हमारा परित्याग करवा देता है। वैसे यह स्वयं को पूर्ण बनाने का ईश्वर द्वारा दिया हुआ स्वर्णिम मौक़ा होता है इसलिये इसके लिये भी ईश्वर के आभारी रहें। ९) दर्द के लिये यह ईश्वर का आपको सशक्त और मज़बूत बनाने का नायब तरीक़ा है। यह बिना किसी धारणा के आपको अपनी भावनाओं को महसूस करने का मौक़ा देता है। इसके लिये भी ईश्वर के आभारी रहें। दोस्तों, इन भावों और नज़रिये को विकसित करने के लिये आप ख़ुद को भी धन्यवाद कहें क्योंकि उपरोक्त अनुभव और नज़रिया आपको इस जीवन के प्रति सशक्त और पर्याप्त रूप से मज़बूत बनाता है जिससे आप हर हाल में खुश रहना सीख सकते हैं। यह आपको नकारात्मक अनुभवों के बाद ठीक होने, जीवन में आगे बढ़ने, विकास करने, बदलने, सक्षम बनने के साथ-साथ वह बनने का मौक़ा देता है, जिसके लिये ईश्वर ने आपको यह जन्म दिया है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो असफलता, परेशानी, मुश्किल या चुनौती का सामना मुस्कुरा कर करना सीख जाना असल में आपको हार को जीत में बदलना और हर हाल में खुश रहना सिखाता है।
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