दोस्तों, वैसे तो इस दुनिया में हर इंसान शिक्षित, समझदार और ख़ुद का भला-बुरा समझने में सक्षम होता है। बस अंतर इतना सा होता है कि कुछ लोग अपनी सोच के आधार पर दूसरे को अनपढ़ या ग़लत ठहरा देते हैं। मेरी यह बात सुनकर आपमें से भी कुछ लोग दुविधा में होंगे और सोच रहे होंगे कि ‘सब लोग शिक्षित और समझदार कैसे हो सकते हैं?’ तो आगे बढ़ने से पहले मैं आपको बता दूँ कि इस दुनिया में कुछ लोग पारम्परिक शिक्षा प्रणाली याने विद्यालय और महाविद्यालय जाकर अपनी शिक्षा पूर्ण करते हैं तो कुछ लोग ‘जनता विश्वविद्यालय’ याने अपने जीवन के अनुभवों से सीख कर शिक्षित और समझदार बनते हैं; अपने जीवन में सफलता की नई इबारत लिख पाते हैं। लेकिन इसके बाद भी आपके मन में दुविधा हो सकती है या एक नया प्रश्न आ सकता है कि’ फिर हमें कुछ लोग परिस्थितियों से जूझते, परेशान, दुखी और असफ़ल क्यों नज़र आते हैं?’ असल में साथियों, इस दुनिया में बड़े, ज्ञानी या सयाने होने की हमारी सबकी अपनी परिभाषा है और हम अपनी उसी परिभाषा के आधार पर ख़ुद को ‘ज्ञानी’, ‘विशेष’ और ‘समझदार’ मानते हैं।

इसीलिये मैं कहता हूँ, ‘हम सब अद्भुत ज्ञानी है’ याने हम सभी के पास ज्ञान की कोई कमी नहीं है और शायद इसी कारण सारा दिन किसी ना किसी को सलाह-मशविरा देते रहते हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो हमारे ज्ञान का बर्तन हमेशा दूसरों को सिखाने या उनका जीवन बेहतर बनाने के लिये ओवरफ्लो होता रहता है और शायद इसीलिये हममें से बहुत सारे लोग असफ़ल, परेशान, दुखी और नकारात्मक भावों से भरे होते हैं।

दोस्तों, अगर आप खुश, सुखी और शांत रहते हुए हर पल जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहते हैं तो आज नहीं अभी से ही जो ज्ञान दूसरों को दे रहे हैं, उसपर स्वयं, सौ प्रतिशत, अमल करना शुरू कर दें। निश्चित मानियेगा ऐसा करना आपके जीवन को स्वर्ग बना देगा। इसके साथ ही आपको एक काम और करना है, सदैव अपने जीवन में ज्ञान को बढ़ाते रहें याने नया सीखने का प्रयास करते रहें। ऐसा सिर्फ़ सलाह देने से नहीं अपितु कुछ नया सुनने या सीखने से होगा। इस आधार पर कहा जाये तो ज्ञानी बनने के लिये सिखाने से सीखना, ज़्यादा कठिन और ज़रूरी है। सीखना निश्चित तौर पर हमारे जीवन को बेहतर बनाता है।

दोस्तों, अब अगर आप मेरी बात से सहमत हों तो मैं आपको सीखने यानी ज्ञानी बनने के तीन सरल तरीक़े सिखा देता हूँ-

पहला -मनन

मनन याने जो भी हम सुन रहे हैं, पढ़ रहे हैं, सीख रहे हैं उसपर चिंतन करना जिससे आप अपनी वाणी और कर्म पर लगाम रख, उसे नई और सही दिशा दे सकें। यह आपको बहुत कम समय में ख़ुशी, शांति और सुखी बनायेगा। इसीलिये इसे सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।

दूसरा - अनुसरण

अनुसरण याने किसी सुखी, सफल, शांत और खुश व्यक्ति के दिखाये पथ पर चलकर अपने जीवन को उनके समान बनाना। यह सबसे सुगम और सरल रास्ता है। अगर आपके अंदर समर्पण का भाव है तो इसमें असफ़ल होने की संभावना, ना के बराबर रहती है।

तीसरा- अनुभव

अनुभव याने अपने कर्मों से सीखना । फिर भले ही आपको उस कर्म से मनमाफ़िक परिणाम मिले हों या फिर आप असफ़ल, दुखी और परेशान रहे हों। इसीलिये अनुभव से सीखना सबसे मुश्किल, पीड़ादायी और समय लेने वाला होता है। इसलिये इसे कड़वा रास्ता भी कहा जाता है।

आइये दोस्तों, उपरोक्त बातों पर गम्भीरता के साथ विचार करते हैं और अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिये इससे मिली सीखों को अपने जीवन में उतारते हैं।
दोस्तों, वैसे तो इस दुनिया में हर इंसान शिक्षित, समझदार और ख़ुद का भला-बुरा समझने में सक्षम होता है। बस अंतर इतना सा होता है कि कुछ लोग अपनी सोच के आधार पर दूसरे को अनपढ़ या ग़लत ठहरा देते हैं। मेरी यह बात सुनकर आपमें से भी कुछ लोग दुविधा में होंगे और सोच रहे होंगे कि ‘सब लोग शिक्षित और समझदार कैसे हो सकते हैं?’ तो आगे बढ़ने से पहले मैं आपको बता दूँ कि इस दुनिया में कुछ लोग पारम्परिक शिक्षा प्रणाली याने विद्यालय और महाविद्यालय जाकर अपनी शिक्षा पूर्ण करते हैं तो कुछ लोग ‘जनता विश्वविद्यालय’ याने अपने जीवन के अनुभवों से सीख कर शिक्षित और समझदार बनते हैं; अपने जीवन में सफलता की नई इबारत लिख पाते हैं। लेकिन इसके बाद भी आपके मन में दुविधा हो सकती है या एक नया प्रश्न आ सकता है कि’ फिर हमें कुछ लोग परिस्थितियों से जूझते, परेशान, दुखी और असफ़ल क्यों नज़र आते हैं?’ असल में साथियों, इस दुनिया में बड़े, ज्ञानी या सयाने होने की हमारी सबकी अपनी परिभाषा है और हम अपनी उसी परिभाषा के आधार पर ख़ुद को ‘ज्ञानी’, ‘विशेष’ और ‘समझदार’ मानते हैं। इसीलिये मैं कहता हूँ, ‘हम सब अद्भुत ज्ञानी है’ याने हम सभी के पास ज्ञान की कोई कमी नहीं है और शायद इसी कारण सारा दिन किसी ना किसी को सलाह-मशविरा देते रहते हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो हमारे ज्ञान का बर्तन हमेशा दूसरों को सिखाने या उनका जीवन बेहतर बनाने के लिये ओवरफ्लो होता रहता है और शायद इसीलिये हममें से बहुत सारे लोग असफ़ल, परेशान, दुखी और नकारात्मक भावों से भरे होते हैं। दोस्तों, अगर आप खुश, सुखी और शांत रहते हुए हर पल जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहते हैं तो आज नहीं अभी से ही जो ज्ञान दूसरों को दे रहे हैं, उसपर स्वयं, सौ प्रतिशत, अमल करना शुरू कर दें। निश्चित मानियेगा ऐसा करना आपके जीवन को स्वर्ग बना देगा। इसके साथ ही आपको एक काम और करना है, सदैव अपने जीवन में ज्ञान को बढ़ाते रहें याने नया सीखने का प्रयास करते रहें। ऐसा सिर्फ़ सलाह देने से नहीं अपितु कुछ नया सुनने या सीखने से होगा। इस आधार पर कहा जाये तो ज्ञानी बनने के लिये सिखाने से सीखना, ज़्यादा कठिन और ज़रूरी है। सीखना निश्चित तौर पर हमारे जीवन को बेहतर बनाता है। दोस्तों, अब अगर आप मेरी बात से सहमत हों तो मैं आपको सीखने यानी ज्ञानी बनने के तीन सरल तरीक़े सिखा देता हूँ- पहला -मनन मनन याने जो भी हम सुन रहे हैं, पढ़ रहे हैं, सीख रहे हैं उसपर चिंतन करना जिससे आप अपनी वाणी और कर्म पर लगाम रख, उसे नई और सही दिशा दे सकें। यह आपको बहुत कम समय में ख़ुशी, शांति और सुखी बनायेगा। इसीलिये इसे सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। दूसरा - अनुसरण अनुसरण याने किसी सुखी, सफल, शांत और खुश व्यक्ति के दिखाये पथ पर चलकर अपने जीवन को उनके समान बनाना। यह सबसे सुगम और सरल रास्ता है। अगर आपके अंदर समर्पण का भाव है तो इसमें असफ़ल होने की संभावना, ना के बराबर रहती है। तीसरा- अनुभव अनुभव याने अपने कर्मों से सीखना । फिर भले ही आपको उस कर्म से मनमाफ़िक परिणाम मिले हों या फिर आप असफ़ल, दुखी और परेशान रहे हों। इसीलिये अनुभव से सीखना सबसे मुश्किल, पीड़ादायी और समय लेने वाला होता है। इसलिये इसे कड़वा रास्ता भी कहा जाता है। आइये दोस्तों, उपरोक्त बातों पर गम्भीरता के साथ विचार करते हैं और अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिये इससे मिली सीखों को अपने जीवन में उतारते हैं।
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