दोस्तों, आप सब ने सुना ही होगा कि प्रकृति के नियम पूर्णतः शाश्वत होते हैं और इस दुनिया में सब कुछ उन नियमों के अनुसार ही घटित होता है। अर्थात् प्रकृति कभी भी अपने नियमों के विरुद्ध जाकर कार्य नहीं करती है। यही बात ठीक इसी तरह से इंसानों पर भी लागू होती है क्योंकि हम सब भी इसी प्रकृति के हिस्से हैं। उदाहरण के लिए आप किसी भी पेड़-पौधे को देख लीजिए। जिसे समय पर खाद, पानी, रोशनी और सकारात्मक माहौल मिलता है, वह पेड़ या पौधा अपने-आप ही तेज़ी से बढ़ता है; सदैव हरा-भरा रहता है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो अगर आप किसी पौधे को समय से खाद-पानी देते रहते हैं तो वह अपने आप ही फलने-फूलने लगता है और यदि आप उसकी उपेक्षा करना शुरू कर देते हैं तो वह जल्द ही मुरझाने लगता है। इसका सीधा-सीधा अर्थ हुआ कि हम इस प्रकृति को जैसा रखते हैं यह वैसी ही बनने लगती है। इसीलिए कहा जाता है, ‘जिन लोगों ने इस दुनिया को स्वर्ग माना, उनके लिए प्रकृति ने इस दुनिया को उन लोगों के अच्छे कार्यों से स्वर्ग बना दिया।

हो सकता है साथियों, आपको मेरी बात कुछ अधूरी या अतिशयोक्ति पूर्ण लग रही हो क्योंकि प्रकृति के नियमों को शब्दों में बांधना मेरी क्षमताओं के परे है। इसलिए अपनी बात को मैं आपको एक उदाहरण से समझाने का प्रयास करता हूँ। इस दुनिया में वे लोग सुगंधित वातावरण में रहते हैं जो लोग फूलों की खेती किया करते हैं। ठीक इसी तरह, इस दुनिया में उन लोगों को मीठे फल अपने आप ही मिल ज़ाया करते हैं जो फलों के पेड़ लगाने का परिश्रम करते हैं। अब अगर हम प्रकृति के नियम के आधार पर उपरोक्त बात को समझने का प्रयास करें तो इसका अर्थ हुआ इच्छा या अनिच्छा के साथ जो बीज आपने बोए हैं उसके फल इच्छा या अनिच्छा होने के बाद भी आपको मिलने वाले ही हैं। अर्थात् जैसा बीज आप ने बोया है प्रकृति उसी के अनुसार आपको फल देने वाली है।

दोस्तों, उपरोक्त कथन बच्चों के लालन-पालन के संदर्भ में भी सौ प्रतिशत इसी तरह कार्य करता है। जिस तरह सिर्फ़ सोचने भर से बीज से कोई फलदायी पेड़ नहीं बनता है। उसके लिए हमें बीज बोन के बाद उसे सही समय पर खाद-पानी देना पड़ता है ठीक उसी तरह सोचने भर से बच्चों को एक अच्छा इंसान नहीं बनाया जा सकता है। उसके लिए आपको सही समय पर संस्कार, सही-ग़लत आदि बातों को सिखाना होगा और उसे भटकने से बचाना होगा।

प्रकृति का यह नियम साथियों, सभी के लिये समान रूप से काम करता है, फिर विषय कोई भी क्यों ना हो। इस दुनिया में सिर्फ़ चाहने मात्र से कुछ प्राप्त होने वाला नहीं है। आज तक आपको आपके जीवन में जो भी प्राप्त हुआ है और आने वाले समय में जो भी प्राप्त होगा वह निश्चित तौर पर आपके द्वारा किए गये कर्मों का परिणाम ही होगा। इसे आप कर्मों के एवज़ में दिया गया प्रकृति का उपहार भी मान सकते हैं।

प्रकृति के इस नियम से साथियों हम अपने जीवन को महका सकते हैं। इसके लिए बस आपको समाज को देते हुए जीवन में आगे बढ़ना है। अर्थात् समाज को बेहतर बनाने के लिए या इस दुनिया को बेहतरीन बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए आगे बढ़ना है। बस फिर देखियेगा यह समाज, यह दुनिया आपके जीवन को कैसे बेहतर बनाती है; किस तरह महकाती है। यह स्थिति ठीक वैसी ही है, जैसे दूसरों पर इत्र लगाने से ख़ुद के हाथ भी इत्र की ख़ुशबू से महकने लगते हैं। तो आइए साथियों, आज से अपने जीवन को महकाने के लिए प्रकृति के इस सुंदर से नियम का पालन करते हैं।
दोस्तों, आप सब ने सुना ही होगा कि प्रकृति के नियम पूर्णतः शाश्वत होते हैं और इस दुनिया में सब कुछ उन नियमों के अनुसार ही घटित होता है। अर्थात् प्रकृति कभी भी अपने नियमों के विरुद्ध जाकर कार्य नहीं करती है। यही बात ठीक इसी तरह से इंसानों पर भी लागू होती है क्योंकि हम सब भी इसी प्रकृति के हिस्से हैं। उदाहरण के लिए आप किसी भी पेड़-पौधे को देख लीजिए। जिसे समय पर खाद, पानी, रोशनी और सकारात्मक माहौल मिलता है, वह पेड़ या पौधा अपने-आप ही तेज़ी से बढ़ता है; सदैव हरा-भरा रहता है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो अगर आप किसी पौधे को समय से खाद-पानी देते रहते हैं तो वह अपने आप ही फलने-फूलने लगता है और यदि आप उसकी उपेक्षा करना शुरू कर देते हैं तो वह जल्द ही मुरझाने लगता है। इसका सीधा-सीधा अर्थ हुआ कि हम इस प्रकृति को जैसा रखते हैं यह वैसी ही बनने लगती है। इसीलिए कहा जाता है, ‘जिन लोगों ने इस दुनिया को स्वर्ग माना, उनके लिए प्रकृति ने इस दुनिया को उन लोगों के अच्छे कार्यों से स्वर्ग बना दिया। हो सकता है साथियों, आपको मेरी बात कुछ अधूरी या अतिशयोक्ति पूर्ण लग रही हो क्योंकि प्रकृति के नियमों को शब्दों में बांधना मेरी क्षमताओं के परे है। इसलिए अपनी बात को मैं आपको एक उदाहरण से समझाने का प्रयास करता हूँ। इस दुनिया में वे लोग सुगंधित वातावरण में रहते हैं जो लोग फूलों की खेती किया करते हैं। ठीक इसी तरह, इस दुनिया में उन लोगों को मीठे फल अपने आप ही मिल ज़ाया करते हैं जो फलों के पेड़ लगाने का परिश्रम करते हैं। अब अगर हम प्रकृति के नियम के आधार पर उपरोक्त बात को समझने का प्रयास करें तो इसका अर्थ हुआ इच्छा या अनिच्छा के साथ जो बीज आपने बोए हैं उसके फल इच्छा या अनिच्छा होने के बाद भी आपको मिलने वाले ही हैं। अर्थात् जैसा बीज आप ने बोया है प्रकृति उसी के अनुसार आपको फल देने वाली है। दोस्तों, उपरोक्त कथन बच्चों के लालन-पालन के संदर्भ में भी सौ प्रतिशत इसी तरह कार्य करता है। जिस तरह सिर्फ़ सोचने भर से बीज से कोई फलदायी पेड़ नहीं बनता है। उसके लिए हमें बीज बोन के बाद उसे सही समय पर खाद-पानी देना पड़ता है ठीक उसी तरह सोचने भर से बच्चों को एक अच्छा इंसान नहीं बनाया जा सकता है। उसके लिए आपको सही समय पर संस्कार, सही-ग़लत आदि बातों को सिखाना होगा और उसे भटकने से बचाना होगा। प्रकृति का यह नियम साथियों, सभी के लिये समान रूप से काम करता है, फिर विषय कोई भी क्यों ना हो। इस दुनिया में सिर्फ़ चाहने मात्र से कुछ प्राप्त होने वाला नहीं है। आज तक आपको आपके जीवन में जो भी प्राप्त हुआ है और आने वाले समय में जो भी प्राप्त होगा वह निश्चित तौर पर आपके द्वारा किए गये कर्मों का परिणाम ही होगा। इसे आप कर्मों के एवज़ में दिया गया प्रकृति का उपहार भी मान सकते हैं। प्रकृति के इस नियम से साथियों हम अपने जीवन को महका सकते हैं। इसके लिए बस आपको समाज को देते हुए जीवन में आगे बढ़ना है। अर्थात् समाज को बेहतर बनाने के लिए या इस दुनिया को बेहतरीन बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए आगे बढ़ना है। बस फिर देखियेगा यह समाज, यह दुनिया आपके जीवन को कैसे बेहतर बनाती है; किस तरह महकाती है। यह स्थिति ठीक वैसी ही है, जैसे दूसरों पर इत्र लगाने से ख़ुद के हाथ भी इत्र की ख़ुशबू से महकने लगते हैं। तो आइए साथियों, आज से अपने जीवन को महकाने के लिए प्रकृति के इस सुंदर से नियम का पालन करते हैं।
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