चाय सिर्फ चाय नहीं
ये इश्क़ है खुद का खुद से
बातें हैं खुद से बिना आवाज की
भाप में लिपटी हुई पत्तियों की
धीमी महक के साथ
गोल होते होंठों के बीच
धीरे धीरे घूमती है
सुरररर् की मीठी गूंज
वो रस जो डूबता है उसमें
जैसे कोई अपने अंदर ही गोता लगा रहा हो
हर घूंट में आधी खुली आंखें
थोड़ी गर्मी थोड़ा सुकून
जैसे कोई मोहब्बत मिल गयी हो
अपने ही भीतर कहीं l
हाय ये चाय
"मोरनी"
चाय सिर्फ चाय नहीं
ये इश्क़ है खुद का खुद से
बातें हैं खुद से बिना आवाज की
भाप में लिपटी हुई पत्तियों की
धीमी महक के साथ
गोल होते होंठों के बीच
धीरे धीरे घूमती है
सुरररर् की मीठी गूंज
वो रस जो डूबता है उसमें
जैसे कोई अपने अंदर ही गोता लगा रहा हो
हर घूंट में आधी खुली आंखें
थोड़ी गर्मी थोड़ा सुकून
जैसे कोई मोहब्बत मिल गयी हो
अपने ही भीतर कहीं l
हाय ये चाय ❤️
"मोरनी"