घर लौटना अब घर को सुहाता नहीं है
कोई भी रास्ता अब रास आता नहीं है
मैं ये दर्द कहूं भी तो किससे कहूं
मरना मुहाल जिया भी तो जाता नहीं है
न उम्मीद बची कोई न ही हिम्मत शेष है
यह नेह का नाता तोड़ा क्यूं जाता नहीं है
कब तक साथ निभाएगी तू भी आख़िर
अब तेरा दुःख मुझसे देखा जाता नहीं है
बेरहम है वक्त और जालिम है ज़माना
खुदा भी राह कोई क्यों दिखाता नहीं है
"मोरनी"
घर लौटना अब घर को सुहाता नहीं है
कोई भी रास्ता अब रास आता नहीं है
मैं ये दर्द कहूं भी तो किससे कहूं
मरना मुहाल जिया भी तो जाता नहीं है
न उम्मीद बची कोई न ही हिम्मत शेष है
यह नेह का नाता तोड़ा क्यूं जाता नहीं है
कब तक साथ निभाएगी तू भी आख़िर
अब तेरा दुःख मुझसे देखा जाता नहीं है
बेरहम है वक्त और जालिम है ज़माना
खुदा भी राह कोई क्यों दिखाता नहीं है
"मोरनी"